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महंत नरेंद्र गिरि के वकील का बड़ा खुलासा, तीन बार बनवाई वसीयत 

प्रयागराज
 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की प्रयागराज के बाघंबरी गद्दी मठ के उत्तराधिकार को लेकर तीन वसीयतें सामने आई हैं, जिसका खुलासा दिवंगत महंत के वकील ऋषि शंकर द्विवेदी ने किया है। वकील के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि ने तीन वसीयतें बनाईं। वकील के मुताबिक महंत ने साल 2010 से 2020 के बीच में 3 वसीयत बनवाई थीं।
 
सबसे पहले बलबीर गिरि को बनाया उत्तराधिकारी
वकील ऋषि शंकर द्विवेदी ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि ने तीन वसीयतें बनाईं। उन्होंने 2010 में बलबीर गिरि के पक्ष में पहली वसीयत बनाई थी। बाद में उन्होंने आनंद गिरि के पक्ष में एक और वसीयत तैयार करवाई, जिसमें कहा गया था कि बलबीर गिरि काम में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। फिर 29 अगस्त 2011 को दूसरी वसीयत में बलवीर की जगह आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बनवाया था।
 
आखिरी वसीयत में भी बलवीर गिरि का नाम
दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि के वकील ने आगे बताया कि 4 जून, 2020 को उन्होंने आनंद गिरी की जगह बलबीर गिरि को अपनी अंतिम वसीयत में उत्तराधिकारी बनाया था, जिसमें बलवीर को बाघंबरी गद्दी मठ की संपत्ति का अकेला उत्तराधिकारी बनाया गया था, इसके साथ ही उन्होंने पहले की दोनों वसीयतों को रद्द करवा दिया था।
 
1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति
वकील ऋषि शंकर द्विवेदी ने कहा कि मठ के नियमानुसार बलबीर गिरि को उनका उत्तराधिकारी नियुक्त किया जाएगा। वकील ने बताया कि नरेंद्र गिरि ने मुझे केवल इतना कहा कि वह आनंद गिरि को उत्तराधिकारी के रूप में हटाना चाहते हैं। आपको बता दें कि बाघंबरी मठ और निरंजनी अखाड़े के पास वर्तमान समय में करीब 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है।
 
महंत नरेंद्र गिरी ने की सुसाइड!
दरअसल, 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि का शव उनके बाघंबरी मठ के कमरे में पंखे से लटका मिला था। कथित तौर पर इसके पीछे आत्महत्या का कारण बताया जा रहा है। वहीं इसके साथ ही एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया था। हालांकि इस पूरे संदिग्ध मामले की सीबीआई जांच में जुटी हुई है।