मुख्यमंत्री चौहान 21 सितंबर को 103 आंगनबाड़ी भवनों और 10 हजार पोषण वाटिका का लोकार्पण करेंगे

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भोपाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनकल्याण और सुराज के 20 वर्ष को प्रदेश सरकार आत्म-निर्भर भारत के संकल्प पूर्ति की दिशा में बढ़ते कदम के रूप में मना रही है। इसी श्रंखला में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 21 सितंबर को खण्डवा जिले में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के 32 जिलों के 103 नवनिर्मित आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवनों और 52 जिलों की 10 हजार पोषण वाटिका का वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से लोकार्पण करेंगे।

मुख्यमंत्री चौहान 22 जिलों के 10 हजार गंभीर कुपोषण से सामान्य पोषण स्तर में आये बच्चों की माताओं को पोषण अधिकार सूचना पत्र भी प्रदान करेंगे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना के अंतर्गत 25 हजार गर्भवती एवं धात्री माताओं को 5 करोड़ रूपये की मातृत्व सहायता राशि का वितरण करेंगे। चौहान लाड़ली लक्ष्मी योजना में कक्षा 6वीं, 9वीं, 11वीं एवं कक्षा 12वीं की लगभग 75 हजार 961 बालिकाओं को 21 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति राशि का वितरण भी करेंगे।

आंगनबाड़ी केन्द्र
प्रदेश में महिला-बाल विकास विभाग के अंतर्गत 84 हजार 465 आंगनबाड़ी केन्द्र एवं 12 हजार 670 मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इसमें 8 हजार 903 आंगनबाड़ी केन्द्र शहरी क्षेत्र में, 24004 आदिवासी क्षेत्र में तथा ग्रामीण क्षेत्र में 51 हजार 558 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं।

पोषण वाटिका
वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में सब्जियों और फलों की उपलब्धता विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिये चुनौती है। महिला-बाल विकास विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि ऐसी परिस्थितियों में शासकीय संस्थाओं और आवश्यकता वाले परिवारों के स्तर पर आसानी से उगाये जा सकने वाले फल एवं सब्जियों को लगाते हुए पोषण वाटिका स्थापित की जाये। भारत सरकार द्वारा पोषण अभियान के अंतर्गत प्रदेश में स्थानीय परिवारों, समुदाय, आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं अन्य शासकीय भवनों में पोषण वाटिका "न्यूट्री गार्डन" का निर्माण कर स्थानीय स्तर पर विविधता को बढ़ावा दिये जाने के निर्देश हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य "जो लगायें वही खायें-जो खायें वही लगायें" है। इसके तहत प्रदेश में शासकीय भवनों एवं किराये के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में लगभग 42 हजार पोषण वाटिकाओं का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के घर तथा गाँव के अन्य स्थानों में 21 हजार पोषण वाटिका तैयार की गई हैं। पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से कुल 63 हजार पोषण वाटिकाएँ निर्मित की गईं हैं। पोषण माह (हर वर्ष सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाता है।) के आयोजन के प्रथम सप्ताह में 10 हजार से ज्यादा पोषण वाटिका का निर्माण और 3 लाख से अधिक पौध-रोपण किया गया। भारत सरकार के कृषि उद्यानिकी मंत्रालय द्वारा पोस्ट ऑफिस के माध्यम से 66 आंगनबाड़ी केन्द्रों को सीड किट उपलब्ध कराये गये हैं।

कुपोषण से सुपोषण की ओर
जनकल्याण एवं सुराज के 20 वर्ष कार्यक्रम में प्रदेश के 10 हजार बच्चों की माताओं को पोषण सूचना-पत्र प्रदान किया जायेगा। यह बच्चे अधिक गंभीर कुपोषण की श्रेणी से सामान्य पोषण स्तर में परिवर्तित हुए हैं। प्रदेश में गंभीर कुपोषित बच्चों के संस्थागत एवं समुदाय आधारित उपचार एवं पोषण प्रबंधन के लिये सितंबर 2020 से मध्यम एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिये समेकित पोषण प्रबंधन कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना
प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। इसके तहत योजना प्रारंभ से अब तक लगभग 24.54 लाख हितग्राहियों को 1055.01 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को मजदूरी की हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति के रूप में नगद प्रोत्साहन प्रदान करना है, जिससे प्रथम बच्चे के प्रसव के पूर्व और बाद में उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके। योजना के तहत हितग्राही को 5 हजार रूपये की राशि 3 किश्तों में प्रदान की जाती है।

लाड़ली लक्ष्मी योजना
मध्यप्रदेश में बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्म्क सोच, लिंग अनुपात में सुधार, बालिकाओं के शैक्षणिक स्तर, स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार और उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से वर्ष 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई थी। योजना अंतर्गत प्रदेश के मूल निवासी, गैर आयकर दाता माता-पिता से जन्मी बालिका को कक्षा 6वीं में प्रवेश पर 2 हजार रूपये, कक्षा 9वीं प्रवेश पर 4 हजार रूपये, कक्षा 11वीं 6 हजार रूपये और कक्षा 12वीं प्रवेश पर 6 हजार रूपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर, कक्षा 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने एवं बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु से पूर्व न होने की शर्त पर एक लाख रूपये की अंतिम राशि का भुगतान किये जाने का प्रावधान है। योजना प्रारंभ से अब तक 39.91 लाख बालिकाओं को पंजीकृत किया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक एक लाख 10 हजार 752 नवीन बालिकाओं का पंजीयन किया जा चुका है। वर्ष 2016-17 से अब तक 6 लाख 86 हजार 634 बालिकाओं को 164 करोड़ की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा चुकी है।

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