पितृपक्ष : 30 हजार श्रद्धालुओं ने पूर्वजों की ब्रह्मलोक प्राप्ति के लिए किया पिंडदान

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गया
गया में पिंडदान करने के लिए देश भर से लोग पहुंच रहे है. अनंत चतुर्दशी यानी 19 सितंबर से शुरू 17 दिवसीय पितृपक्ष श्राद्ध के छठे दिन ब्रह्म सरोवर, काकबली वेदी व आम्र सिंचन वेदी पर पिंडदान करने का विधान व परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस परंपरा का निर्वहन शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं ने किया.

देश के विभिन्न राज्यों से मोक्षधाम पहुंचे करीब 30 हजार श्रद्धालुओं ने इन वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड अपने कुल पंडा के निर्देशन में पूरा किया. पिंडदान के कर्मकांड को लेकर इन वेदी स्थलों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला सूर्योदय के साथ जो शुरू हुआ, वह सूर्यास्त तक जारी है.

पंडा जी प्रमोद मेहरवार ने कहा कि वायु पुराण व नारद पुराण सहित अन्य कई हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्म सरोवर पर पिंडदान का कर्मकांड करने वाले श्रद्धालुओं के पितरों को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है. साथ ही उनके माता (ननिहाल) कुल का भी उद्धार होता है. इधर, फल्गु नदी का जल स्तर बढ़ने से पिंडदान का कर्मकांड करने वाले काफी श्रद्धालुओं को जगह की कमी झेलनी पड़ी.

श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक होने से विष्णुपद मेला क्षेत्र में कर्मकांड के लिए श्रद्धालुओं को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा. श्रद्धालुओं का एक जत्था जब कर्मकांड कर उठ जाता तब दूसरा जत्था उस जगह पर बैठकर अपने पितरों को पिंडदान का कर्मकांड पूरा करता. यह स्थिति विष्णुपद मेला क्षेत्र में शुक्रवार को पूरे दिन बनी रही. श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक होने से देवघाट व उसके आसपास के क्षेत्रों में पूरे दिन भीड़ बढ़ी रही.

गया जी श्रीविष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभू लाल विठ्ठल ने कहा कि 17 दिवसीय पितृपक्ष श्राद्ध के सातवें दिन रुद्र पद, ब्रह्म पद, विष्णुपद श्राद्ध खीर व मावा पिंड व पांव पूजा का विधान है. उन्होंने कहा कि ये तीनों वेदी स्थल विष्णुपद मंदिर क्षेत्र के 16 वेदी परिसर में स्थित हैं.

उन्होंने कहा कि रुद्र पद में पिंडदान करने से शिव लोक, ब्रह्म पद में पिंडदान करने से ब्रह्म लोक व विष्णुपद में पिंडदान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं के पितरों को होने की मान्यता है.

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