माओवाद से निपटने मप्र को सबसे कम फंड, SRE फंड 83 लाख से बढ़ने की उम्मीद

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भोपाल
गृह मंत्री अमित शाह इन मुख्यमंत्रियों के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बैठक में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी रणनीति पर फैसला हो सकता है। बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं। यह बैठक दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हो रही है। बैठक की अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं। इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ ही मुख्य सचिव और डीजीपी को भी बुलाया गया है। बैठक में सुरक्षा के साथ साथ विकास जैसे मुद्दों पर भी फोकस है। इसमें केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी डायरेक्टर अरविंद कुमार और गृह मंत्रालय के तमाम बड़े अफसर और सीआरपीएफ के डीजी भी इस बैठक में शामिल हैं।

दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चल रही नक्सली समस्या को लेकर बैठक में प्रदेश के लिए सिक्युरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (एसआरई) स्कीम का फंड बढ़ाये जाने की उम्मीद है। दरअसल वर्ष 2013 में प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में सिर्फ बालाघाट ही बचा था। इसके बाद वर्ष 2019 में एलडब्ल्यूई जिलों की सूची में मंडला और जून 2021 के अंतिम सप्ताह में डिंडौरी को भी शामिल कर लिया गया है।  जिलों की संख्या बढ़ने के हिसाब से प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से यह फंड बढ़ाएं जाने की संभावना है।

देश के दस वामपंथी उग्रवाद प्रभावित प्रदेशों में से वर्ष 2018 और 2019 के वित्तीय वर्ष में सिक्युरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (एसआरई ) स्कीम में सबसे कम फंड मध्य प्रदेश को दिया गया। वर्ष 2018-19 में एक करोड 94 लाख रुपए का फंड मिला, जबकि वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 23 लाख रुपए का फंड इस स्कीम के तहत प्रदेश को मिला। एसआरई स्कीम में वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार ने प्रदेश को दो करोड़ 90 लाख रुपए की राशि दी थी। जबकि वर्ष 2020-21 में यह राशि लाखों में पहुंच गई। केंद्र से महत 83 लाख रुपए ही प्रदेश को इस स्कीम के तहत मिले। यह राशि एलडब्ल्यूई में शामिल आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, महाराष्टÑ, ओडिसा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से कम थी। जबकि इसी क्षेत्र के लिए  स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम (एसआईएस) के तहत वर्ष 2017-18 में मध्य प्रदेश को दो करोड़ 90 लाख रुपए केंद्र से मिले। जबकि वर्ष 2019-20 में यह राशि महत 71 लाख रुपए का सिमट गई।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड और ओडिशा पर विशेष जोर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि केंद्र चाहता है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के अभियान तेज किए जाएं। सूत्रों का कहना है कि राज्य पुलिस आॅपरेशन का नेतृत्व करती है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इन आॅपरेशन्स में कमी देखी गई है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ आॅपरेशन्स अधिक आक्रामक होने चाहिए, लेकिन ये पिछड़ते नजर आ रहे हैं। 

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