हाथी प्रभावित 7187 किसानों को 4 करोड़ 95 लाख की क्षतिपूर्ति

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महासमुंद
हाल ही में महासमुन्द जिले के वन क्षेत्र से लगे शहर हो या गांवों में वन्य प्राणियों की लगातार खासकर जंगली हाथियों की आमद से प्रभावित इलाकों से लगे शहर के अंतिम छोर व गांवों के रहवासियों में चिंता अवश्य बढ़ी है। किंतु वन विभाग भी गम्भीर घटनाओं को टालने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। हाल ही में जंगली हाथियों के अचानक हमले से हुई मौतों पर वन मण्डल ने हाथी मानव द्वंद प्रबंधन कार्यशाला भी आयोजित की। वन विभाग द्वारा हाथी प्रभावित इलाकें के ग्रामीणों को जागरूक करने के समय-समय पर अधिकारी-कर्मचारी की कार्यशाला भी आयोजित करता आया है। इसके अलावा प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को हाथी के व्यवहार आदि के बारे में बारीकि से भी बताया गया है। लोगों को हाथी के पास न जाने की हिदायतें और सेल्फी इत्यादि न लेने की भी अपील की जा रही है। इसके अलावा पुलिस के सूचना तंत्र का सहयोग और ग्रामीणों से हाथी की लोकेशन संबंध में सूचना एकत्रित की जाती है। ग्रामीणों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं। धान कटाई कार्य शुरू होने पर हाथियों के लिए यह मौसम अनुकूल हो जाता है। उन्हें जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण हाथियों का दल जंगल से गांवों में घूंसता है विशेषकर धान कटाई के समय हाथियों का आवाजाही बढ़ जाती है। ये हाथी किसानों के खेत एवं खलिहानों में आकर फसल खा जाते है।

विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2018-19 से आज (20 सितम्बर) तक वन्य प्राणियों खासकर हाथियों के हमले से जनहानि के 27 प्रकरणों में वन विभाग द्वारा एक करोड़ 46 लाख रूपए की सहायता राशि दी गयी। वहीं 181 जन घायलों को 28 लाख 96 हजार रूपए की क्षतिपूर्ति सहायता राशि मिली। इसी प्रकार हाथी कारीडोर क्षेत्र में जंगली हाथियों से प्रभावित 7187 किसानों की फसलों को वन्य प्राणी (हाथी, जंगली सुअर आदि) द्वारा हानि पहुंचाने पर 4 करोड़ 94 लाख 82 हजार 499 रूपए की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया। वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को भी सावधानी बरतनें कहा जाता रहा है। आधुनिक तकनीकी का बेहतर उपयोग कर व्हाट्स एप्प ग्रुप के जरिए गॉव के लोगों को जोड़ा जा रहा है। वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है। राज्य शासन की वन विभाग ने वर्ष 2019 से वन्य प्राणियों के हमले से घायलों, अपंगता की स्थिति और किसी की मृत्यु हो जाने पर दिए जाने वाले मुआवजे में बढ़ोतरी की है।

राज्य शासन के वन विभाग द्वारा वन्य पशुओं के हमले से यदि मृत्यु हो जाए तो मृतक के परिजन को वन विभाग 4 लाख के बजाए पिछले वर्ष से 6 लाख रुपए मुआवजा दे रहा है। शासन ने वन्य पशुओं से होने वाली घटनाओं पर पीड़ित को दिए जाने वाले मुआवजा राशि में वृद्धि की है। शासन ने यह आदेश वन विभाग को वर्ष वर्ष 2019 से ही जारी कर दिया है, जिसे लागू कर दिया गया है। ज्ञात रहे कि पहले वन्य पशुओं से होने वाली घटनाओं में मुआवजा राशि बहुत ही कम थी। नए आदेश से वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत मिल रही है। वन क्षेत्रों में ज्यादातर वन्य प्राणी मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे ग्रामीणों को पशुधन की हानि अधिक होती है।

पशु धन हानि होने पर प्रभावित किसान को 30 हजार रुपए मुआवजा दिया जाता है। वन्य प्राणी के हमले से जनहानि (मृत्यु) होने पर पहले 4 लाख रुपए दिया जाता था, लेकिन अब 6 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है।  वहीं वन्य प्राणियों के हमले से मनुष्य के स्थाई रूप से अपंग होने पर 2 लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं घायल होने पर इलाज के लिए 59 हजार 100 रुपए की मदद दी जाती है।

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