ड्रैगन पर बड़ा आर्थिक स्ट्राइक, ब्रिटेन लगाएगा खरबों रुपये के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में चीनी कंपनी पर प्रतिबंध 

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लंदन
चीन की आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए चौतरफा हमले होने शुरू हो गये हैं और अब सिर्फ बात नहीं, बल्कि रियल एक्शन भी शुरू हो चुका है। ब्रिटेन की अगली पीढ़ी के परमाणु ऊर्जा स्टेशनों में चीनी निवेश को सुरक्षा के आधार पर प्रतिबंधित किया जाने का फैसला ले लिया गया है और अब बस आखिरी मुहर लगना बाकी है। ब्रिटिश सरकार के इस एक्शन से चीन बुरी तरह से बौखला गया है। क्योंकि, चीन को इससे ना सिर्फ बहुत बड़ा आर्थिक झटका लगा है, बल्कि अब वो टेक्नोलॉजी भी नहीं चुरा पाएगा। खरबों के प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों बैन रिपोर्ट के मुताबिक, अब चीन की कंपनियां ब्रिटेन में खरबों रुपये के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में भागीदारी नहीं कर पाएंगी। ब्रिटिश सरकार ने सभी चीनी कंपनियों के ब्रिटेन में निवेश करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया है। दरअसल, प्रदूषण को कम करने और देश में बिजली किल्लत को खत्म करने के लिए कई देश न्यूक्लियर एनर्जी की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं और न्यूक्लियर एनर्जी में उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली भी मिलती है, लेकिन ये प्रोजेक्ट काफी बड़ा होता है और अभी तक चीन की कंपनियां बड़े पैमाने पर ब्रिटेन में निवेश करती आ रही थीं, जिसपर अब प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। 

 रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की सरकार ने फैसला किया है कि 20 अरब पाउंड के साइजवेल सी परमाणु ऊर्जा परियोजना में चीन के जनरल न्यूक्लियर पावर ग्रुप (सीजीएन) को निवेश नहीं करने दिया जाएगा। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने देश की सुरक्षा को आधार बनाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब ब्रिटेन के किसी भी न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में चीन की कंपनियां किसी भी तरह की निवेश नहीं कर पाएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार ने न्यूक्लियर प्लांट में पैसों की किल्लत को दूर करने के लिए ट्रेजरी फंड का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। चीन नहीं है विश्वसनीय स्रोत ब्रिटेन के ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है ब्रिटेन में ऊर्जा संकट की समस्या को खत्म करने के लिए पवन ऊर्जा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है और देश को स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा के लिए परमाणु संयंत्रों की तरफ बढ़ना होगा। लिहाजा ब्रिटेन की सरकार ने 2 खरब रुपये से ज्यादा की लागत से न्यूक्लियर पॉवर प्लांट प्रोडेक्ट तैयार किया है, लेकिन सुरक्षा को आधार बनाकर चीन की कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में निवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

 बताया जा रहा है कि ब्रिटेन की सरकार संसद में इस बड़े न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट को लेकर घोषणा करेगी, जिसमें वैश्विक कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा, लेकिन ब्रिटिश प्रोजेक्ट में चीन की कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। चीन के लिए ये बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। चीन को बहुत बड़ा झटका ब्रिटिश कारोबार से जुड़े एक वरिष्ट सूत्र ने कहा है कि चीन की कंपनी सीजीएन ब्रिटेन के साइजवेल न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हो पाएगी। ये चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। एक लंबी यात्रा की शुरूआत हो चुकी है और ये बहुत बड़ा कदम है''। दरअसल, चीन को रोकने के लिए उसकी कंपनियों पर प्रतिबंधों की घोषणा बहुत बड़ा कदम है।

 विश्व के कई देश ही अभी तक न्यूक्लियर पॉवर प्रोजेक्ट की तरफ बढ़े हैं और अगर चीन की कंपनियों के खिलाफ इन देशों ने प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया तो चीन की ऐसी कंपनियां सिर्फ चीन में कारोबार कर अपना विस्तार नहीं कर सकती हैं, लिहाजा चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के लिए ये बहुत बड़ा झटका होगा। 20% चीनी कंपनी की हिस्सेदारी रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में चीन की कंपनी पहले ही करीब 20 प्रतिशत निवेश कर चुकी है लेकिन चीन की कंपनी सीजीएन को अब निवेश करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि, प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी चीन की कंपनी की फिलहाल इस प्रोजेक्ट में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी तो रहेगी ही, लेकिन अब वो निवेश नहीं कर सकती है। ब्रिटेन के इस प्रोजेक्ट में बड़ी हिस्सेदारी फ्रांस की कंपनी के पास है और माना जा रहा है कि फ्रांस की कंपनी को ही और ज्यादा निवेश करने की इजाजत दी जाएगी। 

ब्रिटेन का ये पॉवर प्रोजेक्ट 2026 में पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, ब्रिटेन के अधिकारी इस विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं कि चीन की कंपनी ने जो भी निवेश किया है, उसे वो पैसे लौटा दिए जाएं और प्रोजेक्ट से उसका सारा हिसाब किताब कर दिया जाए। अमेरिकी कंपनी से बातचीत पिछले हफ्ते यह सामने आया था कि ब्रिटेन के मंत्री, अमेरिकी परमाणु रिएक्टर निर्माता वेस्टिंगहाउस के साथ एंग्लिसी, नॉर्थ वेल्स में एक नया संयंत्र बनाने के प्रस्ताव पर बातचीत कर रहे हैं। रोल्स-रॉयस के नेतृत्व में एक न्यूक्लियर प्रोजेक्ट के साथ साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) की एक श्रृंखला के लिए अलग प्रस्तावों पर विचार किया गया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि, 'सरकार के अंतिम निवेश फैसले तक चीन की कंपनी सीजीएन वर्तमान में इस प्रोजेक्ट में एक शेयरधारक है। बातचीत चल रही है और कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।' 

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