कांग्रेस नेता ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना, महाराष्ट्र सरकार में दरार

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 मुंबई। 
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के साकी नाका बलात्कार-हत्या मामले पर महाराष्ट विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के रुख की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को पत्र लिखा है। दो पन्ने की चिट्ठी में उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता राय ने लिखा, "सीएम एक क्षेत्रीय दल के प्रमुख हैं और उनकी राजनीतिक चिंता क्षेत्रवाद है। उन्होंने अपने वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए अन्य राज्यों के लोगों को निशाना बनाया।" 

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लिखी चिट्ठी का अंश:
महाराष्ट्र में महिलाओं के प्रति बढ़ते रेप और हिंसा मामले पर विधानसबा में विशेष सत्र बुलाने का सुझाव अत्यंत सराहनीय है। आपने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। इसके लिए मैं आभार प्रकट करता हूं। साकी नाका रेप कांड के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अप्रत्यक्ष रूप से परप्रांतियों (दूसरे राज्य के लोगों) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। एक बलात्कारी किसी भी भाषा, धर्म, जाति का हो उसकी सजा फांसी होनी चाहिए।
 
पिछले कुछ महीनों में मुंबई में महिलाओं के प्रति अपराध में 144 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। साल 2020 में महाराष्ट्र में रेप के 2061 मामले दर्ज हुए हैं। इसके अलावा कई मामले प्रतिदिन हो रहे हैं। साकी नाका कांड में मुंबई पुलिस कमिश्नर ने बेतुका बयान देते हुए कहा था कि पुलिस हर जगह नहीं हो सकती है। यह सीधे-सीधे जिम्मेदारियों से पल्ला झड़ना है। ऐसे गैर जिम्मेदार कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एक क्षेत्रीय पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। इनका राजनीतिक सरोकार प्रांतवाद है। इसलिए साकी नाका रेप केस में सीधे-सीधे दूसरे राज्यों के लोगों को निशाना साधकर इन्होंने खुद के वोट बैंक को संतुष्ट करने की कोशिश की है। किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा किसी भी अन्य राज्य के लोगों पर प्रत्याक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधना निंदनीय कार्य है।

महाराष्ट्र में कुछ और राजनीतिक दल भी इसी का सहारा लेकर ओछी राजनीति करते हैं। जब मुख्यमंत्री किसी अपराध को लेकर राजनीति करने लगेंगे, तब प्रदेश की जनता निष्पक्ष न्याय के लिए किस पर निर्भर रहे? इसलिए आपको यह पत्र लिखना मुझे उचित लगा। एमवीए के तथाकथित सेक्यूलर नेताओं ने भी इस राजनीति पर चुप्पी साध ली है। ऐसा प्रतीत होता है कि दूसरे राज्यों के लोगों का अपमान इस सरकार के  'कॉमन मिनिमम प्रोग्राम' का हिस्सा है। ये सभी सेक्यूलर नेता मुख्यमंत्री के दबाव में दिख रहे हैं।

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