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सरकार की ओर से अदालतों में पैरवी करने वालों पर शासन की पैनी नजर

भोपाल
सरकार की ओर से अदालतों में पैरवी करने वालों पर शासन की पैनी नजर है। अब किसी भी दोष मुक्त निर्णय के 15 दिनों के भीतर अभियोजन को अपनी टीप के साथ जिला समिति के सामने प्रस्तुत करना होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई समिति का भी  इसके चलते पुनर्गठन किया गया है।

जानकारी के अनुसार जिला समिति का पुनर्गठन कर जिला अभियोजन अधिकारी को समिति का सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही इन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि दोषमुक्ति निर्णय के 15 दिन के भीतर निर्णय की सूची के साथ इस पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिसमें भारसाधक अभियोजक से हर मामले में दोष मुक्ति निर्णय पर अलग-अलग टिप्पणी के साथ समिति को प्रस्तुत करना होगा। दरअसल हर माह के आखिरी में दोष मुक्ति प्रकरणों पर यह समिति विचार करेगी, लेकिन सभी मामलों को 15 दिन के भीतर ही पूरी जानकारी के साथ समिति के सामने रखने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अभियोजन और अनुसंधान में हुई कमी या गलतियों को प्रकरणवार समिति में प्रस्तुत किया जाए, जिला समिति के बाद यहां से इन सभी मामलों को राज्य स्तरीय समिति को प्रस्तुत किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी समिति
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात राज्य विरुद्ध किशन भाई एवं अन्य के मामले में पारित आदेश के पालन में न्यायालीय प्रकरणों की प्रस्तुति में जांच और अभियोजन स्तर पर लापरवाही अथवा जान-बूझकर विद्वेषपूर्ण विवेचना के आधार पर न्यायालय से प्रतिकूल निर्णरू होने पर संबंधितों की जिम्मेदारी निर्धारित करने पर जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय समिति गठिन करने के आदेश दिए थे। जिला स्तर पर जिला दंडाधिकारी की अध्यक्षता के साथ ही अब जिला अभियोजन अधिकारी को इसका सचिव बनाया गया है।