दुष्कर्म पीड़िता से हाई कोर्ट ने मांगा शपथ पत्र, भ्रूण का डीएनए ससुर से नहीं मिला तो चलेगा हत्या का केस

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ग्वालियर
एक दुष्कर्म पीड़िता ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की है। याचिका में पीड़िता ने दावा किया है कि यह गर्भ ससुर द्वारा दुष्कर्म की वजह से ठहरा है और वह बच्चे को जन्म देने और उसे पालने की मानसिक स्थिति में नहीं है। हाई कोर्ट ने गर्भपात की सशर्त अनुमति के लिए पीड़िता से दो बिंदुओं पर शपथ पत्र मांगा है। पहला यह कि यदि भ्रूण का डीएनए ससुर से मेल नहीं खाता है तो वह हत्या का केस का सामना करने लिए तैयार रहे। दूसरा, यह दावा गलत साबित होने पर उसे कोर्ट की अवमानना के केस का भी सामना करना पड़ेगा। शपथ पत्र 26 मई को पेश किया जाना है।

पीड़िता की मांग
हाई कोर्ट की एकल पीठ में एक दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति इस तर्क के साथ मांगी कि उसके पति काम के सिलसिले में घर से बाहर गए थे। अकेला पाकर सुसुर ने मेरे साथ दुष्कर्म कर दिया। इसके चलते वह गर्भवती हो गई है। वह इस बच्चे को जन्म देने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। इसलिए उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। शासन की ओर से अधिवक्ता आरएस धाकड़ ने तर्क दिया कि गर्भपात को लेकर कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं लगी है। गर्भपात कितने सप्ताह का है, यह नहीं बताया गया है। पीड़िता शादीशुदा है, इसलिए यह अभी स्पष्ट नहीं है कि गर्भ उसके ससुर का है। उसके पति से भी गर्भ ठहर सकता है।

हाई कोर्ट की शर्तें
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीड़िता को दो बिंदुओं पर शपथ पत्र देने को कहा था । पहला यह कि गर्भ का डीएनए उसके ससुर से मेल नहीं खाता है तो उसे हत्या के केस सामना करना होगा। दूसरा, कोर्ट की अवमानना का भी सामना करना पड़ेगा। हाई कोर्ट ने शर्त रखने की वजह बताते हुआ कहा कि तथ्य छिपाकर दतिया की एक दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति ली थी, बाद में दुष्कर्म की बात झूठी निकली। जिसको लेकर कोर्ट ने काफी दुख जताते हुए पीड़िता व उसके पिता पर अवमानना का केस दर्ज किया था। फिर से वैसी गलती न हो, उसको लेकर हाई कोर्ट ने शपथ पत्र मांगा है। पीड़िता ने भिंड जिले के मालनपुर थाने में अपने ससुर के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कराया है।

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