चीन की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड दिवालिया हुई तो भारत के शेयर पर भी पड़ेगा गहरा असर

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नई दिल्ली
चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड अपने भारी-भरकम कर्ज का भुगतान करने में लगातार नाकाम हो रही है। इसका असर न सिर्फ चीन के बाजारों पर होगा, बल्कि भारत सहित दुनियाभर की अर्थव्यवस्था दबाव में आ जाएगी। एवरग्रांड पर करीब 22 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जो दुनिया की किसी भी एक कंपनी पर कुल कर्ज की सबसे ज्यादा राशि मानी जा रही है।

एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्री अभीक बरुआ का कहना है कि एवरग्रांड दिवालिया होती है, तो अमेरिका, भारत, यूरोप सहित दुनियाभर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आ सकती है। डाॅलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 75 रुपये तक गिर जाएगी और लौह अयस्क सहित कई धातुओं के निर्यात पर भी असर होगा। भारत से हर साल बड़ी मात्रा में लौह अयस्क चीन निर्यात किया जाता है, जिसका इस्तेमाल रियल एस्टेट कंपनियां करती हैं। मामले का खुलासा होने के बाद पिछले सोमवार से अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट जारी है।

एवरग्रांड को बृहस्पतिवार को बॉन्ड पर ब्याज के रूप में करीब 609 करोड़ रुपये चुकाने हैं, जबकि अगले सप्ताह 346 करोड़ का भुगतान करना है। कंपनी ने दावा किया है कि वह भुगतान में सक्षम है। हालांकि, इसके बाद भी प्रतिदिन औसतन 205 करोड़ का ब्याज भरना होगा। कंपनी को कुल कर्ज में 35 फीसदी हिस्सेदारी पर ब्याज चुकाना है। एवरग्रांड ने सालाना रिपोर्ट में खुद कहा है कि उसके पास महज 1,650 अरब रुपये की नकदी है।  

एवरग्रांड में अमेरिका सहित दुनिया के कई धनकुबेरों ने पैसे लगाए हैं। तीन दिन की गिरावट से जेफ बेजोस, वॉरेन बफे और एलन मस्क सहित कई अरबपतियों के करीब 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए। जानकारों का कहना है कि यह कंपनी दिवालिया होती है, तो इससे जुड़ी लाखों छोटी इकाइयों पर संकट बढ़ेगा। इसका असर चीन सहित पूरी दुनिया पर होगा। दरअसल, 2,000 के दशक में चीन के बढ़ते रियल्टी बाजार में निवेशकों ने खूब पैसे लगाए थे।

एवरग्रांड ने 1990 के दशक में रियल एस्टेट कारोबार शुरू किया और जल्द ही कंपनी का विस्तार चीन के 280 शहरों तक पहुंच गया। कंपनी के पास 1,300 से ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट हैं। कंपनी ने बैंकों से जमकर कर्ज लिए, लेकिन चीन ने प्रॉपर्टी बाजार पर सख्ती शुरू की तो मुश्किलें बढ़ गईं। दरअसल, अधिकतर रियल्टी कंपनियां कुछ समय के लिए उधार लेती हैं और इसे री-फाइनेंस कराती हैं। फंसे कर्ज का मामला बढ़ता देख सरकार ने री-फाइनेंसिंग पर रोक लगा दी और कर्ज की सीमा तय कर दी। इससे उनकी कमाई घटी और डिफॉल्ट बढ़ने लगा।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजय कुमार ने कहा, अगर एवरग्रांड संकट नहीं सुलझता, तो भारत के लिए नए मौके खुलेंगे। इससे रियल एस्टेट के विदेशी निवेशक फिर भारत की ओर मुड़ सकते हैं।

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