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झारखंड सरकार ने PFI को राष्ट्र के लिए खतरा बताते हुए 2019 में कर दिया बैन, दर्ज है कई संगीन मामले

रांची
PFI आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात संगठन पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) झारखंड में साढ़े तीन साल से प्रतिबंधित है। राज्य सरकार ने इसे 12 फरवरी 2019 को प्रतिबंधित की थी और तब से ही यह राज्य में प्रतिबंधित है। सरकार की ओर से प्रतिबंधित करने के पीछे तर्क दिया गया था कि पीएफआइ झारखंड के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए खतरा है।

यह संगठन केरल, असम, बंगाल, बिहार में भी हिंसा, भयादोहन, सांप्रदायिक उन्माद व भारत विरोधी एवं पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करता है। इसका आइएसआइएस व जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश नामक आतंकी समूहों से संबंध है। इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह अपनी गैर कानूनी व विधि विरुद्ध गतिविधियों से विधि-व्यवस्था व लोक शांति के लिए खतरा उत्पन्न करेगा।

संगठन की गतिविधियां पाकुड़, साहिबगंज व जामताड़ा में संदिग्ध बताई गई थी। बताया गया था कि इन तीनों जिलों में संगठन ने अपने हजारों सदस्य बनाए हैं। संगठन पर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का कई बार आरोप लग चुके हैं। पीएफआइ को प्रतिबंधित करने के लिए झारखंड के डीजीपी ने 22 दिसंबर 2017 को ही गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी। तब रिपोर्ट में बताया गया था कि इसके सदस्य आतंकी संगठन आइएस से प्रभावित हैं।

इस संगठन के कुछ सदस्य गोपनीय तरीके से दक्षिण भारत के राज्यों से सीरिया भी जा चुके हैं और आइएस के लिए कार्य कर चुके हैं। इसी वर्ष अप्रैल-2022 में भी पीएफआइ के महासचिव अनीस अहमद ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर संगठन को प्रतिबंध मुक्त करने का आग्रह किया था।

पीएफआइ पर दर्ज कुछ प्रमुख मामलें