भोपाल
प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पेयजल सप्लाई सिस्टम से महिला स्वसहायता समूहों को सीधे जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही सड़कों के निर्माण में भी अब गांव की महिलाओं की मदद वहां होने वाली अनियमितताओं को रोकने का काम करेगी। इसके लिए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने गांवों के विकास से जुड़े अधिकाधिक काम महिला स्वसहायता समूहों को सौंपने का निर्णय लिया है।
ये समूह नागरिक सुविधा के काम में सरकार की मदद करने के साथ महिलाओं को रोजगार देने का भी काम करेंगे। इसके लिए सरकार ने बॉयलाज बनाकर उसे लागू भी कर दिया है। राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर काम करने वाली महिलाओं के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए व्यापक बदलाव करने जा रही है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये इन महिला स्वसहायता समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम शुरू किया गया है। इसके लिए विभाग ने महिला स्वसहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक विकास के अवसर उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं। मिशन के पहले से चल रहे कामों में इन नई कार्ययोजना के शामिल होने के बाद अब ग्रामीण विकास में और भी बदलाव हो सकेंगे।
विभाग ने गांवों की नल जल योजनाओं के मेंटेनेंस और आपरेशन की जिम्मेदारी इन समूहों को सौंप कर जल जीवन मिशन को सफल बनाने का लक्ष्य तय किया है। प्रदेश में पांच हजार की आबादी वाले 950 गांवों में नल जल योजना की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंपी जा रही है। ये समूह पानी का बिल लोगों से जमा कराने और बिजली बिल भुगतान कर योजना के मेंटेनेंस व आपरेशन का काम करेंगे।
सरकार ने तय किया है कि महिला समूहों को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के काम से सीधा जोड़ा जाए। इसके लिए एक मोबाइल एप बनाया गया है। इस एप में महिला समूह प्लास्टिक वेस्ट का फोटो अपलोड कर सकेंगे। इसके बाद ये फोटो क्लस्टर लेवल फेडरेशन के पास जाएंगे जहां से ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण को भेजे जाएंगे। यह वेस्ट ग्रामीण सड़क बनाने के काम में उपयोग में लाया जा रहा है। इसके लिए क्रश मशीन लगाने का प्रावधान है जिसके लिए क्लस्टर लेवल फेडरेशन लोन देने का काम कर रहा है। महिलाओं के पास से इस वेस्ट को एकत्र कराकर ठेकेदार सड़क निर्माण में उपयोग करेंगे और उसका पेमेंट उन्हें ही करेंगे।
सरकार ने गांवों की महिलाओं को वहां बनने वाली सड़कों के किनारे शोल्डर भरने और रोजगार देने की व्यवस्था भी तय की है। चूंकि शोल्डर भरने का काम ठेकेदार का होता है और वे अक्सर इसे छोड़ देते हैं। इसलिए अब इसका पैसा ठेकेदार महिला समूहों को देंगे। इसके आधार पर महिला समूह शोल्डर भरवाने का काम करेगा। इसके बाद ही ठेकेदार का सड़क निर्माण का पूरा पेमेंट हो सकेगा।
महिला समूहों को गांवों में तालाबों में मछली पालन का दायित्व भी सौंपा जा रहा है। मछली पालन करने वाले समूहों के अलावा महिला स्वसहायता समूहों को भी मछली पालन का जिम्मा सौंपा जा रहा है। ये समूह यह रिपोर्ट भी देंगे कि तालाब की व्यवस्था में सुधार के लिए क्या काम किए जाने हैं?