सिवनी आदिवासी हत्याकांड: एकजुट होकर आवाज उठाएंगे आदिवासी संगठन

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साझी बैठक में बनाया कार्यक्रम
भोपाल
मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में सक्रिय आदिवासी संगठनो की संयुक्त बैठक ने सिवनी में धनसा इनवाती और सम्पत बट्टी की बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह द्वारा की गयी निर्मम ह्त्या पर गहरे क्षोभ और रोष का इजहार  किया।  हत्यारों के समर्थन में गृहमंत्री और सत्ता पार्टी भाजपा द्वारा निबाही जाने वाली भूमिका की भी निंदा की।  सारे दोषियों को सजा दिए जाने की मांग करते हुए इस बैठक में शामिल संगठनो ने कहा कि सिवनी जैसी हालत पूरे प्रदेश के आदिवासी इलाकों में हैं।  एक तरफ कारपोरेट आदिवासियों को जल, जंगल जमीन से बेदखल कर रहा है दूसरी तरफ हिंदुत्ववादी साम्प्रदायिक गिरोह उनकी भाषा, संस्कृति और जीवन शैली को मिटा देना चाहता  है।  

बैठक में भाग लेने सिवनी से आये मप्र आदिवासी एकता महासभा के नेता अनिल सल्लाम और कबूत मर्सकोले ने गाँव सेमरिया में हुयी बर्बरता का पूरा ब्यौरा रखा तथा 9 मई के ऐतिहासिक सिवनी बंद की जानकारी दी।

बीटीआर भवन में जाग्रत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी कृष्णास्वामी की अध्यक्षता में हुयी बैठक ने  सभी संगठनो तथा समूहों से आग्रह किया कि वे अपने दल लेकर सेमरिया गाँव में पहुंचें ताकि पीड़ित परिवार और गवाहों के प्रति संवेदना  के साथ साथ एकजुटता भी व्यक्त की जा सके।  उनका हौंसला बढ़ाया जा सके।  बैठक ने सिवनी के पीड़ित परिवार को वैधानिक संरक्षण और मदद देने के लिए सिवनी तथा जबलपुर में लीगल टीम गठित करने का निर्णय लिया।  

सभी संगठनो ने मिलकर तय किया है कि सिवनी हत्याकांड से उठे सवालों को लेकर प्रदेश के सभी प्रमुख आदिवासी केंद्रों – अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, बड़वानी मंडला, रीवा तथा शहडोल संभाग में सभी आदिवासी संगठनो, आदिवासी हितैषी तथा उनके अधिकारों के प्रति सचेत और सक्रिय  व्यक्तियों की बड़ी बैठके कर अभियान शुरू किया जाएगा।  यह अभियान नवउदार नीतियों के आदिवासी उत्पीड़न के साथ संबंधो,  बेदखली, बेरोजगारी, कुपोषण सहित आदिवासी समाज की आर्थिक समस्याओं तथा उनकी संस्कृति पर किये जा रहे हमलों पर संवाद के रूप में होगा।  इसमें आने वाले दिनों में साझे प्रतिरोध के कदम भी  तय किये जाएंगे।  

बैठक ने गोंडी और भीली भाषा को संविधान की भाषाओं की सूची में शामिल किये जाने सहित अन्य मुद्दों पर भी विचार किया।  इन सभी विषयों को बड़े पैमाने पर आदिवासी समुदाय के बीच ले जाने पर भी सहमति बनाई।  

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, योगेश दीवान, एकता परिषद की सरस्वती उइके, आदिवासी एकता महासभा के बुद्दसेन सिंह, अनिल सल्लाम, कबूत मर्सकोले, जल जंगल जीवन बचाओ साझा मंच की नेहा, भूमि अधिकार अभियान के समाधान,  मप्र आदिवासी एकता महासभा के लालता प्रसाद कोल,  राकेश नायक, सिद्दार्थ मेढे, राष्टीय आदिवासी जनक्रांति संघ के एड. सुनील कुमार आदिवासी तथा एड नारजी मेडा, एमपीएचसी के एड राहुल श्रीवास्तव, मप्र किसान सभा के सुरेंद्र जैन सहित अनेक ने हिस्सा लिया।  बैठक में भाग लेने मध्यप्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष रामनारायण क़ुरारिया भी जबलपुर से पहुंचे।

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