योगी ने अपनाया PM मोदी का मॉडल , मंत्रिमंडल में सात नए मंत्री शामिल

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   लखनऊ
            

उत्तर प्रदेश में चार महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार आखिरकार रविवार शाम हो गया. मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री और छह राज्य मंत्रियों के रूप में सात नए चेहरों को शामिल किया गया है. योगी सरकार ने सूबे के सामाजिक संतुलन साधने के लिए मोदी फॉर्मूले को अपनाया है, जिसके तहत एक सवर्ण, तीन पिछड़ा वर्ग के और तीन दलित नेताओं को कैबिनेट में जगह दी है. इस तरह से बीजेपी ने जाति के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन भी साधने का दांव चला है.

योगी सरकार में बने नए मंत्री

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और साथ ही राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के लिए भी नामित किया गया है. वहीं, बलरामपुर के विधायक पलटूराम, सोनभद्र के ओबरा से विधायक संजीव सिंह उर्फ संजय गोंड, गाजीपुर से पहली बार विधायक बनी संगीता बिंद, मेरठ से विधायक दिनेश खटीक, आगरा से विधायक धर्मवीर प्रजापति और बरेली के बहेड़ी से विधायक छत्रपाल गंगवार को राज्यमंत्री बनाया गया. जितिन को छोड़कर बाकी सभी बने राज्य मंत्रियों का आरएसएस और बीजेपी से जुड़ाव वर्षों पुराना रहा है.

मोदी मॉडल को योगी ने अपनाया

बता दें कि महज ढाई महीन पहले ही सात जुलाई को नरेंद्र मोदी के अगुवाई वाली केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो यूपी के सात सांसदों को एंट्री मिली थी. एक सवर्ण, तीन पिछड़ा वर्ग के और तीन दलित सांसदों को केंद्र में मंत्री बनाया गया था. ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अजय मिश्रा, पिछड़ा वर्ग के लिए कुर्मी समाज से अनुप्रिया पटेल, पंकज चौधरी, लोध जाति से बीएल वर्मा जबकि दलित समुदाय से भानुप्रताप सिंह, एसपी सिंह बघेल और कौशल किशोर थे.

सूबे के सामाजिक संतुलन साधने के लिए मोदी माडल को अपनाते हुए योगी सरकार ने भी बिल्कुल वही फॉर्मूला अपनाया है. एक सवर्ण, तीन पिछड़े और एक अनुसूचित जनजाति सहित तीन दलित. ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जितिन प्रसाद, पिछड़े वर्ग से छत्रपाल गंगवार, संगीता बिंद और धर्मवीर प्रजापति को मंत्री बनाया गया है. दलित चेहरे के तौर पर दिनेश खटीक, पल्टूराम और गौंड समाज से आने वाले संजीव कुमार है.

गैर-यादव ओबीसी, गैर-जाटव दलित पर दांव

2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार ने गैर-यादव औबीसी और गैर-जाटव दलित को मंत्रिमंडल में खास तवज्जो दी है. बीजेपी ने दलित में खटीक और गोंड जाति को महत्व दिया है तो ओबीसी में बिंद (मल्लाह), प्रजापति (कुम्हार), गंगवार (कुर्मी) जैसी जातियां के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देकर बड़ा सियासी दांव चला है. साथ ही बीजेपी ने चार एमएलसी को राज्यपाल कोटे से नामित करने में भी गुर्जर, भुर्जी व निषाद जैसी जातियों को महत्व देकर सियासी समीकरण को दुरुस्त करने का दांव चला है.

बीजेपी 2022 के विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर और 350 प्लस सीट का टारगेट को लेकर चल रही है. इसीलिए अपना दल (एस) को साथ लेकर पहले ही कुर्मी (पटेल) समाज को तरजीह देने के बाद निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया और उन्हें विधान परिषद के लिए नामित भी कराने के लिए नाम भेजा है. इसके अलावा मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी बनाने में भी जातीय समीकरण का खास ख्याल बीजेपी ने रखा है. सूबे में मल्लाह वोटों के लिए संजय निषाद को एमएलसी तो संगीता निषाद को मंत्री बनाया गया है. राज्य में भुर्जी समुदाय के नेता को पहली बार एमएलसी बनाया गया है.

योगी कैबिनेट में अभी भी सवर्णों का दबदबा

दरअसल, पिछले दिनों तीन मंत्रियों के निधन में एक-एक सवर्ण, पिछड़ी व अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में घट गया था. ऐसे में कैबिनेट विस्तार के जरिए संतुलन बनाने की कवायद योगी सरकार ने की है. सूबे में योगी मंत्रिमंडल की कुल संख्या 60 की हो गई है, जिसमें 24 कैबिनेट, नौ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 27 राज्यमंत्री हैं.

वहीं, जातीय समीकरण के लिहाज से देंखे तो मंत्रिमंडल में 28 सवर्ण, 23 पिछड़े और आठ दलित के साथ ही एक मुस्लिम मंत्री हैं. इस योगी सरकार में अभी भी सवर्ण समाज का दबदबा कायम है. मंत्रिमंडल में कुल नौ ब्राह्मण मंत्री और मुख्यमंत्री सहित आठ क्षत्रिय मंत्री हैं. इसी तरह के योगी कैबिनेट में चार महिला भी मंत्री हो गई हैं.

यूपी में क्षेत्रीय बैलेंस बनाने की कवायद

बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार के जरिए सामाजिक समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन भी बनाने की कवायद की है.कैबिनेट विस्तार में पश्चिमी यूपी के शाहजहांपुर, आगरा, मेरठ और बरेली से एक-एक मंत्री बनाया गया है जबकि पूर्वांचल के गाजीपुर, सोनभद्र और अवध के बलरामपुर से एक मंत्री बनाया गया है.  योगी मंत्रिमंडल के विस्तार में तीन पूर्वांचल से मंत्री बनाए गए हैं. और इसी क्षेत्र से संजय निषाद एमएलसी बनाए गए हैं.

किसान आंदोलन को काउंटर करने और जाट वोट के काट की तलाश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मंत्रिमंडल में दो को जगह दी गई है और दो एमएलसी भी बनाए गए हैं. वहीं, एक-एक मंत्री तराई क्षेत्र के शाहजहांपुर और रुहेलखंड के बरेली से बने हैं. इस तरह बीजेपी ने पूर्वांचल से पश्चिम यूपी तक में संतुलन बनाया तो तराई-रुहेलखंड का भी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देकर क्षेत्रीय समीकरण को दुरुस्त रखने का भी दांव चला है.

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