देश में अनाज का भंडारण 5 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

0
139

नई दिल्ली

देश के सरकारी गोदामों में अनाज का स्टॉक इस वक्त पिछले पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 800 मिलियन की आबादी को सब्सिडी पर अनाज देने वाली सरकारी मशीनरी पर अब आने वाले दिनों में काफी दबाव बढ़ने वाला है। किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है और अगली फसल 15 मार्च के बाद ही बाजारों में आने की उम्मीद है। रोजमर्रा की चीजों, सब्जियों समेत अन्य सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं। एफसीआई के आंकड़े बताते हैं इस मौसम ने सर्दियों में बोई गई गेहूं और चावल की फसल दोनों को खराब कर दिया है, जिससे कीमतें 22 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने  डेटा जारी करते हुए कहा कि 1 अक्टूबर तक अनाज का कुल स्टॉक 51.14 मिलियन टन रहा। जबकि, पिछले साल यह 800 टन से ज्यादा था। जिसमें गेहूं का स्टॉक 227.5 लाख टन है। वहीं, दूसरी ओर बफर स्टॉक और चावल भंडारण में थोड़ी वृद्धि हुई है। 205.2 लाख टन के साथ बफर स्टॉक में 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह चावल का स्टॉक आवश्यक स्तर से लगभग 2.8 गुना अधिक है। एफसीआई का मानना है कि चार साल पहले की तुलना में सरकारी गोदामों में इससे ज्यादा अनाज उपलब्ध रहता था। इस बार नाकाफी है।
 
14 साल के निचले स्तर पर गेहूं का स्टॉक
चावल का स्टॉक घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन गेहूं का स्टॉक 14 साल के निचले स्तर पर आ गया है। दरअसल, सरकार किसानों से अपने लक्ष्य का लगभग आधा ही गेहूं खरीद सकी है।  इसके पीछे बड़ी वजह है यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते उच्च निर्यात मांग के कारण किसान निजी व्यापारियों को स्टॉक बेच रहे हैं।

मार्च में एक लंबे समय तक गर्मी की वजह से गेहूं का उत्पादन कम हो गया है। जिसके बाद सरकार ने कठोर कदम उठाते हुए मई में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि आपूर्ति कम हो गई थी। सरकार ने पिछले महीने 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाते हुए विदेशी चावल शिपमेंट पर भी अंकुश लगा दिया।
 
आंकड़ों से पता लगता है कि भारत की उपभोक्ता महंगाई दर सितंबर में वार्षिक आधार पर पांच महीने के उच्च स्तर 7.41% पर पहुंच गई। जबकि पिछले महीने इसमें 7% की वृद्धि दर्ज हुई थी।

महंगाई से मुश्किल में सरकार!
खुदरा कीमतों में उछाल का व्यापक अ
सर सितंबर में खाद्य कीमतों में देखने को मिला। अनाज, दालें, सब्जियां और दूध की कीमतों में वृद्धि। सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 22 महीने के उच्च स्तर 8.4% पर पहुंच गई, जिससे कीमतों को नीचे लाने के लिए सरकार पर काफी दबाव भी बना।

भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, “सब्जियों की कीमतों पर बारिश का मौसमी प्रभाव अब स्पष्ट हो चुका है। आगे चलकर देश के विभिन्न हिस्सों में अनाज उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश अनाज और सब्जियों की कीमतों पर काफी बड़ा प्रभाव डाल सकती है।”

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here