करोड़ों रुपए की ठगी: सुब्रत राय के खिलाफ रांची हुई सामूहिक एफआईआर दर्ज

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रांची
 सहारा इंडिया (SAHARA India) प्रमुख सुब्रत राय फिर से बड़ी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। लाखों निवेशकों (investors) के पैसे हड़पने के मामले में सहारा श्री के खिलाफ थाने में सामूहिक एफआईआर दर्ज कराई गई है। दरअसल जनआंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले सहारा निवेशको-सहारा एजेंट द्वारा सहारा इंडिया के प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ रांची जिले के डोरंडा थाने में सामूहिक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। सुब्रत राय (subrata Roy) के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दुबे के नेतृत्व में थाना प्रभारी रमेश कुमार सिंह FIR की कॉपी रिसीव की है और साथ ही उचित कार्रवाई का भी आश्वासन दिया है।

वित्त योजना में पैसा निवेश करने के नाम पर निवेशकों से करो रुपए की ठगी करने के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई गई है। आदेश में कहा गया कि रांची में सहारा की तीन सहकारी समिति और कंपनी में निवेशकों ने निवेश किया है। सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड सहारा इंडिया क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और सहारा मल्टीपरपज सोसायटी लिमिटेड सहित सहारा क्यू शॉप कंपनी में निवेशकों के करोड़ों रुपए अभी फंसे हुए हैं। परिपक्वता अवधि निकलने के बाद भी अभी तक उनके निवेश और रिटर्न का भुगतान नहीं किया गया है। FIR में स्पष्ट किया गया है कि हिनू शाखा में लोगों के 11 करोड़ 50 लाख रुपए जमा है।

वहीं जिन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उसमें ऐसी मैनेजर सुनील कुमार सिंह के अलावा सेफ्टी मैनेजर विजय महतो, जोनल चीफ पीएन सिंह, बिजनेस एडवाइजरी गणेश भगत, सेक्टर एडवाइजरी गणेश साहू, रीजनल मैनेजर दिनेश कुमार और रंजन कुमार सिंह सहित सतीश सिंह के नाम शामिल हैं। थाने में नारेबाजी भी की गई। साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों से फोन पर बात की गई। इस दौरान गरीबों के पैसे लौटाने की बात कही गई है। हालांकि इस मामले में थाना प्रभारी का कहना है कि सहारा की वजह से यदि कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इससे पहले बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद पैसे लौटाने को लेकर आदेश भी जारी हुए थे।जिसके आधार पर सुब्रत राय सहारा पेरोल पर बाहर है। निवेशकों के पैसे की धोखाधड़ी के मामले में सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को 2016 में जेल से बाहर किया गया था। 4 हफ्ते की पैरोल पर उन्हें रिहा किया गया था। हालांकि पैरोल पर अब तक कुछ भी अस्पष्ट नहीं हो पाया है। वह 2016 से लगातार जेल से बाहर चल रहे हैं।

इससे पहले मुंबई की कंपनी रजिस्ट्रार द्वारा भी इन शिकायतों की जांच की गई थी। 14 अगस्त 2018 को केंद्र सरकार से सहारा की कंपनियों की जांच शुरू करने की सिफारिश की गई थी। जिसके बाद सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट्स रेंजर लिमिटेड, सहारा क्यू ओल्ड मारुति लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने जांच शुरू की गई। इस दौरान मंत्रालय द्वारा जांच का जिम्मा एसएफआइओ को सौंपा गया था।

जिसने अपनी जांच में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए निवेशकों को लालच देकर उनसे 14100 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं। साथ ही सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा 17500 करोड़ जुटाए गए हैं। जबकि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड में हाई रिटर्न का लालच देकर निवेशकों से 19400 करोड़ रुपए की ठगी की गई है। इस तरह अब तक सहारा इंडिया द्वारा निवेशकों को लालच देकर 50000 करोड़ रुपए ठगी किए गए हैं।

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