नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार और जाने-माने संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची ने ओमिक्रॉन को लेकर हाल में जो बात कही थी वह भारत के संदर्भ में भी सही प्रतीत होती दिख रही है। बेंगलुरु में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के ओमिक्रॉन संक्रमित पाए जाने से सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि वह व्यक्ति विदेश से नहीं लौटा था और न ही ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आया था। ऐसे में उसके संक्रमण की सबसे बड़ी वजह यही हो सकती है कि यह वेरिएंट पहले ही देश में पहुंच चुका हो। चिकित्सा विशेषज्ञ भी इस बात से इनकार नहीं करते।
यदि जांच हो तो और मिलेंगे मामले :
फाउची के अनुसार, ओमिक्रॉन को रोकना संभव नहीं है और यदि जांच हो तो कोई बड़ी बात नहीं कि यह पहले से देश में मौजूद हो। दरसअल, नवंबर मध्य में ओमिक्रॉन के संक्रमण की पुष्टि होते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पूरी दुनिया में सतर्कता बढ़ा दी थी। तब पहली बार दक्षिण अफ्रीका में इसके मामले मिले थे, लेकिन 249 कोरोना पॉजिटिव नमूनों की जांच में 74 फीसदी मामलों में ओमिक्रॉन पाया गया। यह दर्शाता है कि जब तक वेरिएंट पकड़ में आया तब तक वह बड़े पैमाने पर दक्षिण अफ्रीका में पैर पसार चुका था। इस बीच वहां से लोगों की आवाजाही जारी रही जिससे उसका प्रसार होता रहा हो सकता है। यही कारण है कि पिछले दस दिनों के दौरान जब इस वेरिएंट की निगरानी तेज हुई है तो 30 देशों में इसके मामले पकड़ में आ चुके हैं।