अब तेंदुआ व बाघ को पकड़ने के लिए बकरे की बलि नहीं देनी होगी

0
74

गोरखपुर
शेर, बाघ, तेंदुआ जैसे वन्यजीवों को पकड़ने के लिए वनकर्मी उसके पिंजरे में बकरा रखते हैं। उसे खाने की लालच में शेर, बाघ, तेंदुआ तैसे वन्यजीव पिंजरे में आते हैं और वनकर्मी उन्हें पकड़कर उपचार के लिए ले आते हैं, लेकिन अब इस तरह के वन्यजीवों को पकड़ने के लिए वन विभाग को बकरे की बलि नहीं देनी होगी। वन विभाग ने करीब माह भर पहले ऐसा पिंजरा मंगाया है, जिसमें बकरा खाने की लालच में शेर, बाघ व तेंदुआ पिंजरे में आएगा तो, लेकिन उसे खा नहीं सकेगा। इसकी प्रमुख वजह होगी कि पिंजरे के जिस हिस्से में बकरा रहेगा, वह भीतर ही भीतर पारदर्शी शीशे से कवर होगा। वन्यजीव और बकरे के बीच में एक शीशे की दीवार होगी। इससे वन्यजीव बकरे तक नहीं पहुंच सकेगा।

सोहगीबरवा वन रेंज में आते रहते हैं तेंदुआ
महराजगंज जिले का सोहंगीबरवा वन क्षेत्र गोरखपुर प्रभाग की सीमा नजदीक होने के कारण इस क्षेत्र में भी तेंदुए के आने का खतरा बना रहता है। तेंदुए को पकड़ने को लेकर वनकर्मी भी थोड़े सहमे रहते हैं कि थोड़ी सी असावधानी होने पर उनकी जान पर बन आएगी। तमाम सुरक्षा अपनाने के बावजूद भी वह आए दिन चोटिल होते रहते हैं।

लोहे के पिंजरे में घायल हो जाता है तेंदुआ
इसके साथ ही पिंजरे में कैद होने के बाद तेंदुआ भी बाहर निकलने के प्रयास में पिंजरे पर हमला करता है। इसमें उसके सिर सहित तमाम हिस्सों में चोट आ जाती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने कैंपियरगंज रेंज में पटना से एक आटोमेटिक पिंजरा मंगवाया है। 3.3 लाख का यह पिंजरा आटोमेटिक होने के साथ-साथ पूरी तरह फाइबर का बना हुआ है।

फाइबर का बना है नया पिंजरा
फाइबर का बना होने इसमें तेंदुआ अथवा अन्य वन्यजीव पकड़े जाने पर बाहर निकलने के लिए हमला भी करे तो वह घायल नहीं होगा। पिंजरा पूरी तरह से टेस्टेड है। ऐसे में यह आशंका भी नहीं है कि वन्यजीव उसे तोड़कर बाहर आ सकेगा। इसके अलावा रिमोट से काम करने के चलते इसे पिंजरे से करीब 100 मीटर की दूरी पर छिपकर उसका उपयोग किया जा सकता है। इससे वनकर्मी को भी कोई खतरा नहीं रहेगा। फाइबर बाडी होने के कारण इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। पिंजरे को आपरेट करने को लेकर जिले के कुल 11 रेंज के रेंजर व वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

बेहद सुरक्षित रहेगा पिंजरा
डीएफओ विकास यादव ने कहा कि आटोमेटिक पिंजरा होने से हर कोई सुरक्षित रहेगा। यह वन्यजीव के लिए भी सुरक्षित है और वनकर्मी के लिए भी। साथ ही जिस जानवर को चारा बनाकर पिंजरे में डाला जाता है, वह भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here