देसी ड्रोन देख उड़ जाएंगे चीन-पाकिस्तान के होश, 100 KM दूर से दुश्मनों पर बरसाएंगे बम और मिसाइलें

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नई दिल्ली
सशस्त्र यानी हथियारों से लैस ड्रोन अब भारत में ही तैयार किए जाएंगे। इसके लिए रोडमैप तैयार कर लिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इसे तीनों सेनाओं के लिए बनाएगा। हालांकि, तात्कालिक जरूरतों के लिए अभी भारत 30 सशस्त्र ड्रोन अमेरिका से खरीदने जा रहा है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, अगले दस सालों के भीतर देश में सशस्त्र ड्रोन तैयार कर लिए जाएंगे। डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाएं इस पर काम शुरू कर चुकी हैं। इसके तहत डीआरडीओ अपने मौजूद मानवविहीन विमानों को खासकर रुस्तम जी-2 को सशस्त्र ड्रोन के रूप में परिवर्तित करेगा। इसके अलावा नये ड्रोन प्लेटफॉर्म भी विकसित जाएंगे। सशस्त्र ड्रोन दुश्मन पर बम और मिसाइलों से हमले करने में सक्षम होंगे। सशस्त्र ड्रोन को 100 किमी या इससे अधिक दूरी तक हमला करने में सक्षम बनाया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि तात्कालिक जरूरतों की पूर्ति के लिए अमेरिका से 30 सशस्त्र प्रीडेटार ड्रोन खरीदे जाएंगे जिनमें से 10-10 प्रत्येक सैन्य बलों को दिए जाएंगे। इनकी कीमत तीन अरब डॉलर के करीब होने का अनुमान है।

युद्ध में सशस्त्र ड्रोन का महत्व तेजी से बढ़ रहा
दरअसल, युद्ध में ड्रोन के साथ-साथ सशस्त्र ड्रोन का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। पहले ड्रोन निगरानी एवं जासूसी के लिए इस्तेमाल होते थे लेकिन अब हमला करने के लिए भी प्रयुक्त हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में तमाम युद्ध ऐसे ही बिना पायलट वाले हथियारों से लैस छोटे विमानों और ड्रोन के जरिये लड़े जाएंगे। हाल में नौसेना प्रमुख आर हरिकुमार ने कहा कि हथियारबंद ड्रोन देश में ही तैयार किए जाएंगे।

भारत के पास सभी तकनीक मौजूद
रक्षा विशेषज्ञ और डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रवि गुप्ता ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित रुस्तम जी अभी भी हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इतना ही नहीं भारत के पास ड्रोन में इस्तेमाल होने वाली तमाम तकनीक मौजूद हैं। इनमें से काफी तकनीकों को रुस्तम जी में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। इसलिए वह समय दूर नहीं जब देश में सशस्त्र ड्रोन का निर्माण शुरू हो जाएगा।

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