सवालों से घिरी फेसबुक कंपनी पर कार्रवाई की आशंका बढ़ी, मीडिया में फेसबुक की कार्यशैली पर उठे सवाल

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वाशिंगटन
बीते सोमवार को फेसबुक और उसके दो और सोशल मीडिया माध्यमों के डाउन होने की घटना ने अमेरिका में एक नई बहस छेड़ दी है। सोमवार को फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ह्वाट्सएप लगभग छह घंटों तक नहीं चले। विश्लेषकों के मुताबिक इससे ये सवाल खड़ा हुआ है कि क्या किसी कंपनी को अपने ही बनाई टेक्नोलॉजी के जरिए संचालित किए जाने की इजाजत होनी चाहिए?

विशेषज्ञों के मुताबिक इस घटना से साफ हुआ कि अगर कोई कंपनी अपने कोड लिखने में मामूली गलती भी करती है, तो उससे पूरी दुनिया में वे सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिनका इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं। इसके अलावा इस बात से भी नाराजगी पैदा हुई है कि फेसबुक ने सोमवार की घटना के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। उसने सिर्फ यह कहा है कि सर्वर के रूटीन रखरखाव में कुछ गलतियों के कारण सोशल मीडिया के तीनों माध्यम डाउन हुए।

मंगलवार को फेसबुक के इंजीनियरिंग वाइस प्रेसिडेंट संतोष जनार्दन ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा- 'यहां से हमारा दायित्व यह होगा कि हम जांच, अभ्यास और अपनी आंतरिक शक्ति को और भी ज्यादा मजबूत करें। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं जितनी संभव हैं, उतनी टाली जाएं।’

कई मीडिया टिप्पणियों में कहा गया है कि रखरखाव में गलती की वजह से सिस्टम का डाउन होना कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन इस बारे में पूरी पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम ने एक टिप्पणी में कहा है कि फेसबुक की पूरी निर्भरता अपनी सेवाओं और अपने सिस्टमों पर है। इस वजह से बाकी दुनिया अभी इसको लेकर अंधेरे में है, आखिर तीन सोशल मीडिया माध्यम उतनी देर तक क्यों बंद रहे।

गौरतलब है कि सोमवार को फेसबुक की सेवाएं सिर्फ उसके यूजर्स के लिए ही बंद नहीं हुई थीं। बल्कि कंपनी के कर्मचारी भी उन सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाए, जबकि वे फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के बिजनेस वर्जन का उपयोग करते हैं। फेसबुक कंपनी के अंदर इस संस्करण को वर्कप्लेस कहा जाता है। इस सिस्टम के भी बंद हो जाने के कारण कंपनी के कर्मचारी आपस में भी संवाद नहीं कर सके।

ये आउटेज अमेरिकी सीनेट के सामने व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हाउगेन की गवाही से ठीक एक दिन पहले हुआ। हाउगेन ने बीते रविवार को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल को कई दस्तावेज सौंपते हुए ये आरोप लगाया था कि फेसबुक प्रबंधन जन हित के ऊपर अपने मुनाफे को तरजीह दे रहा है। मंगलवार को अमेरिकी सीनेट की उपभोक्ता संरक्षण उप समिति के सामने गवाही में भी उन्होंने ये बात दोहराई।

हाउगेन ने गवाही के दौरान कहा- ‘फेसबुक प्रबंधन जानता है कि उसके एल्गोरिद्म बच्चों के लिए हानिकारक हैं, वे समाज में विभाजन पैदा करते हैं, और हमारे लोकतंत्र कमजोर कर रहे हैं।’ हाउगेन की गवाही में जो बातें कही गईं, वे दुनिया भर में मीडिया की सुर्खियां बनी हैं। उससे फेसबुक के लिए असहज स्थिति बनी है। इसी समय उसके आउटेज से संबंधित चर्चा भी सुर्खियों में है। जानकारों का कहना है कि इन दोनों घटनाओं से फेसबुक कंपनी गंभीर सवालों से घिर गई है। इस वजह से अमेरिका में उसके खिलाफ कार्रवाई की संभावना और मजबूत हो गई है, जिसकी प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही है।

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