एल्युमीनियम फॉयल में खाना पैक करने से पहले जाने ये बात

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आजकल घरों और बाजारों में हम देखते हैं कि खाने को पैक करने के लिए लोग एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल करते हैं। कहते हैं कि इसमें खाना पैक करने से यह फ्रेश रहता है और लंबे समय तक गर्म भी बना रहता है। लेकिन क्या वाकई एल्युमीनियम फॉयल जैसी चीज में खाना रखना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है यह बड़ा सवाल है? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि एल्युमीनियम फॉयल बनता कैसे है और इसमें कितनी देर तक खाना रखा जा सकता है…

कैसे बनती है एल्युमीनियम फॉयल
एल्युमीनियम फॉयल में प्योर एल्युमीनियम नहीं होती है, बल्कि इसमें एलॉय वाले एल्युमीनियम यानी मिक्स मेटल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 92 से 99% तक एल्युमीनियम हो सकता है। एल्युमीनियम फॉयल बनाने से पहले इसे पिघलाया जाता है और एक खास तरह की मशीन में इसे बनाया जाता है, जिसे रोलिंग मिल कहा जाता है। इस मशीन का प्रेशर 0.01 प्रतिशत होता है। जब एल्युमीनियम रोल को 0.00017 से 0.0059 इंच मोटाई तक बना दिया जाता है, तो उसे कोल्ड रोलिंग मिल में डाला जाता है। जिसमें यह ठंडा होता है, फिर इसे पतला किया जाता है। इस पर मेटल की एक परत चढ़ाई जाती है, जिससे सख्त एल्युमीनियम पतली नजर आती है।

कहां होता है एल्युमीनियम का इस्तेमाल
एल्युमीनियम फॉयल का सबसे पहला धमाल 1913 में किया गया था, जब इसे एक कैंडी के रैपर के रूप में इस्तेमाल किया गया था। बता दें कि एल्युमीनियम फॉयल कुछ इस तरह से बनाई जाती है कि इसके के अंदर ऑक्सीजन, मॉइश्चरऔर बैक्टीरिया नहीं पहुंच पाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल फूड पैकेजिंग और घरों में पूड़ी, पराठा या अन्य चीजों को फ्रेश रखने के लिए होता है।

क्या सुरक्षित है एल्युमीनियम फॉयल
लगभग हर प्रकार की चीज में एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया जाता है। चाहे एल्युमीनियम के बर्तन हो, एल्युमीनियम फॉयल हो या अन्य चीजें। एक्सपर्ट की मानें तो एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल करना खतरनाक नहीं होता है, लेकिन लंबे समय तक इसमें खाना नहीं रखना चाहिए। इसमें 4-5 घंटे से ज्यादा खाना रखना हानिकारक हो सकता है। इसमें काना रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब एल्युमीनियम फॉयल से खाना बाहर निकाला जाए तो इसका कोई भी टुकड़ा खाने में मौजूद ना हो।

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