भैरव की पूजा से दूर होते हैं संकट, शत्रु होते हैं परास्त

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नई दिल्ली
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव जयंती मनाई जाती है। इसे भैरव अष्टमी और कालाष्टमी भी कहा जाता है। भैरव अष्टमी 27 नवंबर 2021 शनिवार को आ रही है। इस दिन व्रत रखकर जल का अ‌र्घ्य देकर भैरव का पूजन करने से शत्रु परास्त होते हैं, संकट दूर होते हैं। भैरव भगवान शिव का ही एक रूप है और इनकी पूजा उग्र देव के रूप में की जाती है। इसलिए भैरव की पूजा तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण होती है।

विद्वानों का मत है किसामान्य गृहस्थों को भैरव की पूजा मंदिरों में ही करना चाहिए। भैरव का वाहन श्वान है इसलिए भैरव अष्टमी के दिन श्वान का भी पूजन किया जाता है। इस दिन श्वानों को भोजन करवाने से भैरव प्रसन्न होते हैं। भैरव अष्टमी के दिन शिव-पार्वती की कथा सुनना चाहिए। भैरव का मुख्य हथियार दंड है। इस कारण इन्हें दंडपति भी कहते हैं। भैरव का दिन रविवार और मंगलवार है। इन दोनों दिन इनकी पूजा करने से भूत-प्रेम बाधाएं समाप्त होती हैं। सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।

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