प्रयागराज
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत के रहस्य से पर्दा उठाने में लगी सीबीआई हर पहलू पर जांच कर कोई नतीजा निकालने की कोशिश में है। खुदकुशी के संदिग्ध मामलों में सीबीआई साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी रिपोर्ट जरूर तैयार करती है। नरेंद्र गिरि के मामले में भी सीबीआई इस पर काम कर रही है। सीबीआई अफसर सुसाइड से पहले महंत की मनोदशा, उनके व्यवहार, हाव-भाव, खान-पान में बदलाव को लेकर मिनट दर मिनट की जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी के सहारे सीबीआई यह जानने की कोशिश में है कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत से पहले मानसिक स्थिति कैसी थी। सीबीआई की यह कवायद एक तरह से दिमाग का पोस्टमार्टम करने जैसी है। सीबीआई टीम ने सेवादारों, साधु-संतों और करीबियों से नरेंद्र गिरि की मौत से पहले के बोलचाल, व्यवहार, मिलने-मिलाने, खाने-पीने, मोबाइल के इस्तेमाल, पुस्तकें पढ़ने, धार्मिक आयोजन में शामिल होने आदि को लेकर रिपोर्ट को दस्तावेजी स्वरूप देना शुरू कर दिया है।
यही वजह है कि मठ के सेवादारों ओर कर्मचारियों से कई चक्र में पूछताछ का सिलिसला चल रहा है। मठ के लोगों से सीबीआई अफसरों की एक टीम यह जानना चाहती है कि घटना वाले दिन या फिर घटना से कुछ पहले महंत की बातचीत के लहजे में किसी तरह का बदलाव आया था। बहुत शांत हो गए थे या बहुत अग्रेसिव थे। दिनचर्या, पहनावे, प्रतिक्रिया देने में किसी तरह का बदलाव नजर आया था।