गंगा, रिइमेजनिंग, रेजुविनेटिंग, रिकनेक्टिंग पुस्तक पर चर्चा

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जयपुर
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा और मिशन में काम कर चुके आई डी ए एस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘गंगा, रिइमेजनिंग, रेजुविनेटिंग, रिकनेक्टिंग’ पर आईएएस लिटरेरी सोसायटी राजस्थान द्वारा आयोजित वर्चुअल इंटरेक्शन सेशन माध्यम से चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन आईएएस श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने किया।

 मिश्रा ने अपनी किताब पर चर्चा करते हुए बताया कि यह पुस्तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन में काम करने के दौरान उनके अनुभवों पर आधारित किताब है, जिसमें  सरकार द्वारा मिशन के अंतर्गत किए गए कार्यों के अलावा इसके पीछे के विजन और महत्व को पाठक के सामने रखने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में उन्होंने गंगा को स्वच्छ करने के  मिशन में सामने आई चुनौतियों के बारे में लिखा है। वही भारत की संस्कृति से जुड़ी इस महान नदी के अतीत और भविष्य की संभावनाओं पर भी विचार रखे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं है बल्कि पूरा एक इकोसिस्टम है।

 पुस्तक के बारे में बात करते हुए उपाध्याय ने कहा कि कि इस मिशन के बारे में लोगों ने उनसे सबसे ज्यादा सवाल पूछे हैं। कुछ लोगों का तो यह भी सवाल था कि क्या यह मिशन संभव है। हमने उन सवालों के जवाब इस किताब के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति से सीखने और अपने पानी के स्रोतों का सम्मान करने की जरूरत है।

श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने किताब के विभिन्न पक्षों और संदर्भों पर लेखकों के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पुस्तक में लेखक ने औद्योगिकीकरण और प्रदूषण के गंगा पर व्यापक प्रभाव को बताया है और उसके समाधान को भी रेखांकित किया है। साथ ही उत्तराखंड में आई बाढ़, क्लाइमेट चेंज और सुंदरबन में मेंग्रूव पर संकट की भी बात की है।

उन्होंने बताया कि पुस्तक में कोरोना के समय में गंगा के किनारे शवों को जलाने और शवों को बहाने जैसी घटनाओं का जिक्र भी लेखक ने किया है।
 
सेशन के अंत में लेखकों ने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए।

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