अरुणाचल सेक्टर में 200 चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने बनाया बंधक, बातचीत के बाद मामला सुलझा

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नई दिल्ली
चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रही है। उसने भारत से सटी सीमा पर सैनिकों का भारी जमावड़ा कर लिया है। ताजा खबर अरुणाचल सीमा से रही है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले हफ्ते अरुणाचल सेक्टर में एक बार फिर आमना-सामना हुआ। यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा के लेकर दोनों देशों के सैनिकों के बीच घंटों संघर्ष की स्थिति बनी। जानकारी के मुताबिक, 200 चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा में घुसने की कोशिश की। जवाब में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को बंधक बना लिया। कमांडर स्तर तक यह बात पहुंची तो बातचीत कर विवाद हल किया गया। रक्षा सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। आमतौर पर चीनी सैनिक 10-20 के टुकड़ी में सीमा पर गश्त करते हैं, लेकिन इस बार 200 सैनिकों ने एक साथ घुसपैठ की कोशिश की। दोनों पक्षों के बीच बातचीत कुछ घंटों तक चली और मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार इसे सुलझा लिया गया। गनीमत रही कि विवाद बातचीत से सुलझा लिया गया और संघर्ष की नौबत नहीं आई।

आर्मी चीफ ने भी जताई थी चिंता

इससे पहले अक्टूबर के शुरू में ही भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से पूर्वी कमान में सैनिकों की भारी तैनाती की है। सेना प्रमुख ने इसे चिंता का विषय बताते हुए कहा था कि सेना स्थिति पर नजर रखे हुए है और भारतीय सैनिक भी किसी भी स्थिति का जवाब देने के लिए तैयार हैं। सेना प्रमुख नरवणे ने लेह में यह बात कही थी, जहां महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जाती थी।

तवांग सेक्टर में भारत और चीन की झड़प की सूचना पर भारतीय पक्ष के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं किया गया है और इसलिए देशों के बीच एलएसी की धारणा में अंतर है। दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के पालन से अलग-अलग धारणाओं के इन क्षेत्रों में शांति और शांति संभव हुई है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन ने घुसपैठ की कोशिश भारतीय बंकरों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से की थी।

सूत्र ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी धारणा के अनुसार गश्ती गतिविधियां करते हैं। जब भी दोनों पक्षों के गश्ती आमने-सामने आ जाते हैं, तो दोनों पक्षों द्वारा सहमत स्थापित प्रोटोकॉल और तंत्र के अनुसार टकराव को दूर किया जाता है। हालांकि, यह समाधान निकलने में कुछ घंटे लग जाते हैं। हालांकि, बचाव पक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ है। बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मामला लंबे समय से अनसुलझा है। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई स्तर की वार्ता भी हो चुकी है।

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