1 जुलाई से जगन्नाथ की रथ यात्रा,लाखों भक्तों के शामिल होने की संभावना

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भुवनेश्वर
भगवान जगन्नाथ 1 जुलाई को भक्तों को दर्शन देंगे और नगर भ्रमण करेंगे। इसके लिए ओडिशा के पुरी में रथ बनाने का काम तेजी से चल रहा है। करीब 800 कारीगर दिन-रात रथ बनाने में जुटे हुए हैं। अब तक करीब 60 फीसदी काम हो चुका है। भक्तों में भी जबरदस्त उत्साह है। दरअसल, 2 साल बाद कोरोना मुक्त वातावरण में रथ यात्रा निकलेगी। इसमें देश-विदेश के 20 लाख से अधिक भक्तों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

रथ निर्माण की तिथि हुई तय

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी राजेंद्र कर ने बताया कि पिछले दो साल से रथ यात्रा के दौरान सारे विधान मंदिर के पुजारियों द्वारा ही किया गया। इस बार भक्तों को रथ खींचने का मौका मिलेगा। राजेंद्र कर ने बताया कि रथ निर्माण के लिए तिथियां निर्धारित हैं।

तीन रथ बनते हैं

बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन से रथ के लिए लकड़ी आनी शुरू हाे जाती है। नरसिंह चतुर्दशी को एक पहिया पूरा हो जाता है। इस बार संबलपुर, क्योंझर, बरगढ़ समेत अन्य जगहों से लकड़ी आई है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा तीनों के रथ बनते हैं और रथों के नाम और आकार अलग-अलग है। नंदीघोष में सवार होते हैं। इस बार के आयोजन में कई और खूबियां भी जोड़ी गई हैं।

    नंदीघोष में भगवान जगन्नाथ 16 पहिए वाले इस रथ को बनाने में 742 लकड़ी के टुकड़े लगते हैं। ऊंचाई 45 फीट 6 इंच होती है।

    तलध्वज में बलभद्र 14 पहिए वाले रथ को बनाने में लकड़ी के 731 टुकड़े काम में लिए जाते हैं। ऊंचाई 45 फीट होती है।

    देवदलन में बहन सुभद्रा इस रथ में 12 पहिए होते हैं। इसे बनाने में 711 लकड़ी के टुकड़े लगते हैं। इस रथ की ऊंचाई 44 फीट होती है।

    14 जून को स्नान यात्रा, 15 दिन भगवान जगन्नाथ रहेंगे बीमार।

    इन रथों का 60 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

    800 कारीगर दिन रात रथों के निर्माण में जुटे हैं।

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