लॉजी और मेडिसीन विभाग का संयुक्त आयोजन

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रायपुर
हीमोफिलिया रक्त की एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें रक्त के थक्का लगाने में आवश्यक फेक्टर 8 या फेक्टर 9 की कमी होती है, जिससे रक्त का थक्का नहीं बन पाता। इस कारण बार-बार रक्तस्त्राव होने लगता है। विभिन्न जोड़ों में रक्तस्त्राव के कारण विकृति और विकलांगता निर्मित होती है और आंतरिक महत्वपूर्ण अंगों में रक्तस्त्राव मृत्यु के कारण भी बनते हैं। इसी हीमोफिलिया बीमारी के विभिन्न चिकित्सकीय पहलूओं पर वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के पैथालॉजी और मेडिसीन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कल 11 मई 2022 को किया गया।

आयोजन अध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष पैथालॉजी ने अपने स्वागत उद्बोधन में हीमोफिलिया बीमारी के चिकित्सकीय, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक पहलूओं पर प्रकाश डालते हुये इस संगोष्ठी के औचित्य और उपयोगिता का उल्लेख किया। डी.के.एस. सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल के हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. अंबर गर्ग ने अपने व्याख्यान में ऑन डिमांड और बचाव के लिये फेक्टर 08 और फेक्टर 09 कितनी मात्रा और कितने अंतराल में दिये जाना है इसकी विस्तृत विवेचना की। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण में छत्तीसगढ़ राज्य में हीमोफिलिया रोगियों की स्थिति पर भी चर्चा की। संगोष्ठी के इस प्रथम भाग की अध्यक्षता डॉ. अरविन्द नेरल और डॉ. देवप्रिया लकरा ने की।

संगोष्ठी के दूसरे भाग में बैंगलूरू से आये डॉ. रीम्स मैथ्यू पाउलोस ने क्लॉटिंग फेक्टर 08 और फेक्टर 09 के नये क्रांतिकारी स्वरूप की जानकारियां साझा की और बताया कि ये नये स्वरूप में इन फेक्टर्स की एक्सटेण्डेड हॉफ लाईफ (ई.एच.एल.) होती है, जिससे इन्हें मरीजों को देने का अंतराल बढ़ जाता है और उपचार के बेहतर परिणाम मिलते हैं। इन नई दवाओं से हीमोफिलिया के मरीजों के लिये अच्छे, स्वस्थ और लंबे जीवन हेतु आशा की किरण नजर आती है। इस व्याख्या की अध्यक्षता डॉ. आर.एल. खरे और डॉ. राबिया परवीन सिद्दीकी ने की। इस संगोष्ठी में पैथालॉजी एवं मेडिसीन विभाग के चिकित्सा शिक्षक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के अलावा शहर के अन्य चिकित्सकों ने भी अपनी भागीदारी दी। आयोजन सचिव प्रोफेसर डॉ. देवप्रिया लकरा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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