बरेली
रामपुर में एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) से शराब बनाने का धंधा पुलिस की सरपरस्ती में चल रहा था। यही वजह रही कि मामला पकड़ में आने पर जांच प्रभावित करने का हरसंभव प्रयास किया गया। इसके चलते ही आईजी की जांच में तत्कालीन एसपी शगुन गौतम (मौजूदा एस विजिलेंस प्रयागराज) समेत 18 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए, आरोपियों के सीधे संपर्क में रहने वाले इनमें से 14 पुलिस वालों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हो गई है।
रामपुर में पिछले साल 12 जून की रात शहजादपुर थाना क्षेत्र से एसटीएफ ने 25 हजार लीटर ईएनए से भरा टैंकर पकड़ा था। मौके से धमोरा निवासी राजेंद्र सक्सेना, अखिलेश मौर्य और नसीमगंज, टांडा का राजेंद्र गिरफ्तार हुआ था। सामने आया था कि इस एल्कोहल से अवैध शराब बनाई जाती थी।
मामला पुलिस मुख्यालय तक पहुंचने और स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध मिलने पर एडीजी अविनाश चंद्र ने मामले की जांच तत्कालीन आईजी राजेश पांडेय को जांच सौंपी थी। यह जांच पूरी होने के बाद अब पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई है।
तत्कालीन एसपी शगुन गौतम, तत्कालीन सीओ अशोक पांडेय, तत्कालीन एसओ शहजादनगर सतेंद्र कुमार, तत्कालीन धमोरा चौकी प्रभारी अनुराग चौधरी, एसओजी के सब इंस्पेक्टर पंकज चौधरी, हेड कांस्टेबल जागेश सिंह, भूदेव सिंह, हाशिम खान, वेद प्रकाश मिश्रा, अफजाल अहमद, विपिन कुमार, चंद्रशेखर, सिपाही महिपाल सिंह, सतेंद्र सिंह, अमित कुमार, चालक इरशाद एवं दो अन्य। इनमें से एसपी और तीन अन्य छोड़कर बाकी के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई के लिए फाइल शासन को भेज दी गई है।
इस मामले में करीब 50 पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज होने के बाद कार्रवाई की दिशा तय हुई है। एसपी को कार्रवाई में शिथिलता बरतने का दोषी माना गया है। वहीं, बर्खास्तगी की जद में आए 14 पुलिसकर्मी आरोपियों के सीधे संपर्क में पाए गए हैं।
सामने आया है कि सब इंस्पेक्टर पंकज चौधरी की कार्रवाई के दौरान करीब 42 बार मुख्य आरोपी राजेंद्र सक्सेना से बात हुई। उन पर विभाग की सूचनाएं लीक करने का भी आरोप है। हेड कांस्टेबल जोगेश सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा पर राजेंद्र का आपराधिक इतिहास छिपाने का आरोप है। इसी तरह किसी न किसी तरह आरोपियों की मदद में संलिप्त पाए गए।