नाबालिग से शादी के बाद बनाये शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म ही हैं -Allahabad High Court

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प्रयागराज
 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग की सहमति से बनाया गए शारीरिक संबंध में उसकी सहमति का कोई महत्व नहीं है. कोर्ट ने कहा कि नाबालिग से शादी के बाद उसकी सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है. इसी आधार पर कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया.

याचिका में आरोपी की तरफ से दलील दी गई कि उसने नाबालिग की सहमति से शादी की और फिर उससे शारीरिक संबंध बनाए हैं. लेकिन जस्टिस सुधारानी ठाकुर की सिंगल बेंच ने उसकी दलील को स्वीकार नहीं किया और उसे दुष्कर्म मानते हुए याची की जमानत अर्जी खारिज कर दी.

ये है मामला
दरअसल, अलीगढ़ के प्रवीण कश्यप की ओर से एक जमानत अर्जी दाखिल की गई थी. याची के खिलाफ अलीगढ़ के लोढ़ा थाने में अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है. याची अधिवक्ता का तर्क था कि लड़की ने पुलिस और कोर्ट के सामने दिए अपने बयान में कहा है कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ घर से गई और उसके साथ शादी की. लड़की की सहमति से दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए हैं और दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे हैं.

सरकारी वकील ने दी ये दलील
इस पर सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि स्कूल द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र से घटना के दिन लड़की की उम्र 17 वर्ष थी और वह नाबालिग है. नाबालिक द्वारा दी गई सहमति का कोई महत्व नहीं है. कोर्ट ने कहा कि भले ही लड़की ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और शादी की हो, लड़की की सहमति से दोनों में शारीरिक संबंध बने हों, इसके बावजूद नाबालिग द्वारा दी गई सहमति का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है. इसके बाद जस्टिस सुधारानी ठाकुर की सिंगल बेंच ने जमानत की अर्जी ख़ारिज के दी.

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