देश में व्याप्त है अविश्वास और हिंसा का माहौल: अशोक गहलोत

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जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश में हिंसा और अविश्वास का माहौल है और इससे देश बर्बाद हो सकता है। उन्होंने कहा कि तनाव की राजनीति देश के लिए अच्छी नहीं है। जिस परिवार में तनाव होता है, वह आगे नहीं बढ़ता और बर्बाद हो जाता है। यही बात गांव, देश और राज्य पर भी लागू होती है। गहलोत ने कहा कि अविश्वास और हिंसा का माहौल है। कुछ लोग खुश हो सकते हैं कि बुलडोजर चल रहे हैं। वह बुलडोजर कभी भी आपके यहां आ सकता है। गहलोत ने शनिवार को सीकर के कोठियारी में एक बालिका महाविद्यालय का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि कानून द्वारा दोष सिद्ध किए बिना किसी को दोषी नहीं कहा जा सकता। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधते हुए गहलोत ने दो साल पहले राज्य में राजनीतिक संकट को लेकर नेता के एक बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मंत्री कह रहे हैं कि सचिन पायलट ने मौका नहीं गंवाया होता और राजस्थान में सरकार बदल जाती तो राज्य में (ईआरसीपी के जरिए) पानी आ जाता, क्या कोई केंद्रीय मंत्री ऐसी भाषा बोल सकता है? इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है।

गहलोत लगातार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं। इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पानी उपलब्ध कराना है। सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ जुलाई, 2020 में सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।  इस बीच, अशोक गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि महाराष्ट्र की परिस्थिति सभी देख रहे हैं, अब वहां क्या स्थिति बनती है आने वाला वक्त बताएगा पर ये अच्छी परंपरा नहीं है। मेरी दृष्टि में वहां भी हार्स ट्रेडिंग ही हो रही है। पहले मध्यप्रदेश, फिर राजस्थान और फिर महाराष्ट्र में, ये बहुत ही अशुभ संकेत है देश के लिए, डेमोक्रेसी के लिए। पब्लिक को इन बातों को समझना चाहिए, पब्लिक ही माई-बाप होती है, लोकतंत्र में वो ही सरकारें बनाती है और वो ही घर भेजती है, उनके ऊपर है कि वो किस रूप में देखती है। अब हिंदुत्व के नाम पर जो ये नारा दिया हुआ है उसके नाम पर सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन साथ में अन्य प्राब्लम भी तो हैं। महंगाई है, बेरोजगारी है, अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है, सेना में ये जो अग्निपथ लेकर आए हैं, एक नया प्रयोग है, सबको पूछकर करते, पार्लियामेंट में डिस्कशन होता, रिटायर्ड अफसरों को पूछते तो और अच्छे ढंग से स्कीम लागू हो सकती थी उसको भी बना दिया कंट्रोवर्सी में।

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