नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर के लोगों को इस बार पराली का धुआं थोड़ा कम सताएगा। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का आंकलन है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की कम रोपाई के चलते पिछले साल से 12 फीसदी तक पराली इस बार कम बचेगी। इस पराली के अलग-अलग किस्म के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में मध्य अक्टूबर से नवंबर तक पराली के धुएं के चलते होने वाले प्रदूषण से भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। हर साल पराली जलाए जाने से रोकने और इससे बढ़ने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए उपाय किए जाते हैं। हालांकि, अब तक इस समस्या से खास राहत नहीं मिली है। लेकिन, केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अनुमान है कि इस बार धान के रकबे में पिछले साल के मुकाबले में 7.72 फीसदी की कमी आई है। खेतों में गैर बासमती धान की पराली को ही जलाया जाता है। आयोग का आकलन है कि धान के रकबे में आई कमी के चलते इस बार 12.42 फीसदी तक पराली का उत्पादन कम होगा। आयोग के मुताबिक 2020 में संबंधित राज्यों में पराली उत्पादन की कुल मात्रा 28.4 मिलियन टन थी जो घटकर 26.21 मिलियन टन होने की उम्मीद है।