मिशन 2022 : यादव की पार्टी होने के ठप्पे से छुटकारा पाने की कोशिश में अखिलेश, जानें सपा की नई रणनीति

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लखनऊ
इस बार का चुनावी समर में पिछड़ी जातियों की गोलबंदी अपना अलग असर दिखाएगी। पिछड़ों को साधने की लड़ाई में सपा ने अपनी पार्टी के गैर यादव पिछड़े नेताओं को आगे कर दिया है। इस कवायद का मकसद मुख्यत: ‘यादव समुदाय की पार्टी’ होने  के ठप्पे से छुटकारा पाना है। 

मिशन 2022 फतेह करने के लिए समाजवादी पार्टी की कोशिश गैर यादव पिछड़ों में पैठ बनाने की है। दो चुनावों के नतीजों से उसे सबक मिल गया कि गैर यादव जातियों में अधिकांश वोट भाजपा में खिसक गया। कांग्रेस व बसपा से सपा का हुआ गठबंधन उसके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।  लिहाजा, अब कुर्मी, मौर्य, निषाद, कुशवाहा, प्रजापति, सैनी, कश्यप,वर्मा, काछी, सविता समाज व अन्य पिछड़ी जातियों को जोड़ने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 

पिछड़ा वर्ग सम्मेलन

प्रदेश भर में अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं निकाली जा रही हैं। जिनमें जिनका नेतृत्व गैर यादव पिछड़े नेताओं के हाथ में हैं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पूरे प्रदेश में पटेल यात्रा निकाल रहे हैं। एक चरण  की कामयाबी के बाद उन्हें दुबारा यात्रा निकालने को कहा गया है।  निषादों, मल्लाहों,  कश्यप आदि समुदाय को सपा के करीब लाने की कोशिश में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप कई चरणों में सामाजिक न्याय यात्राएं निकाल रहे हैं। साथ ही पिछड़ा वर्ग सम्मेलन भी किए जा रहे हैं। 

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