जबलपुर
आयुक्त नि:शक्तजन संदीप रजक ने गत दिवस जबलपुर की संस्था करुणा नव-जीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर गुरैया घाट जबलपुर का आकस्मिक निरीक्षण कर अनेक अनियमितताएँ पाईं। रजक ने संस्था द्वारा राष्ट्रीय न्यास अधिनियम-1996 के प्रावधानों का पालन नहीं करने, भारत एवं राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ दिव्यांगजनों को नहीं देने, नियम विरुद्ध संस्था में अप्रशिक्षित अमले द्वारा दिव्यांगों की देखभाल करने, अधोसंरचना एवं अमला अधिनियम के अनुरूप नहीं पाये जाने, फिजियोथेरेपिस्ट, एक्यूप्रेशनर थेरेपिस्ट, स्पेशल एजुकेटर, साइकोलॉजिस्ट, प्रशिक्षित वार्डन, स्पेशल इंस्ट्रक्टर, काउंसलर, चिकित्सक की नियुक्ति नहीं पाये जाने पर तत्काल मान्यता निरस्त करने के निर्देश दिये।
रजक ने बताया कि आकस्मिक निरीक्षण के दौरान संस्था में 8 दिव्यांग हितग्राही पाये गये। संस्था में 9 कर्मचारी हैं, जो नियम के विरुद्ध एक भी नि:शक्तता के क्षेत्र में प्रशिक्षित नहीं है। वर्ष 2002 से संचालित संस्था में हितग्राही जबलपुर जिले के न होकर दूसरे राज्यों से लाये गये हैं। समिति के पदाधिकारी भी जबलपुर जिले के न होकर नई दिल्ली, भोपाल, इंदौर और नरसिंहपुर के निवासी बताये जा रहे हैं। संस्था की कार्य-प्रणाली संदेहास्पद है। संस्था द्वारा फर्म एवं संस्थाएँ अधिनियम के प्रावधानों के तहत जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्होंने बताया कि गत माह राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की टीम द्वारा निरीक्षण के दौरान असंतोष व्यक्त किया था।
रजक ने बताया कि संस्था में पाई गई अनियमितताओं और संस्था की मान्यता के लिये निहित शर्तों का उल्लंघन किये जाने पर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 एवं दिव्यांग अधिकार नियम-2017 में पंजीयन प्रमाण-पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश सामाजिक न्याय विभाग को दिये गये हैं। साथ ही संस्था की स्थाई एवं अस्थाई सम्पत्ति को राजसात कर सील करने और समिति के पदाधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर कर वैधानिक कार्यवाही किये जाने के लिये कलेक्टर जबलपुर को निर्देशित किया गया है।
संस्था में निवासरत दिव्यांग छात्र-छात्राओं को ऐसे संस्थाओं में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहाँ शिक्षण-प्रशिक्षण आदि की उपयुक्त व्यवस्था है।