विकसित भूमियों पर कृषि भूमि मान लगाया टैक्स, ऑडिट में 436 मामलों में गड़बड़ियां

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भोपाल
जिलों में कलेक्टर कार्यालयों के अफसर भी लापरवाही से काम कर रहे है।  इंदौर,जबलपुर सहित चौबीस जिलों में कलेक्टर कार्यालयों के एसडीओ ने नगर निगम और नगर पालिका सीमा में स्थित विकसित भूखंडों का निर्धारण कृषि भूमि मान किया जिसके चलते भू-भाटक, प्रीमियम और पंचायत उपकर की राशि में सरकार को 2 करोड़ 58 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदेश के 24 जिलों के कलेक्टर कार्यालय के दस्तावेजों की आॅडिट जांच के बाद 436 मामलों में गड़बड़ियां निकली है। जिन जिलों में गड़बड़ी मिली है उनमें आगर मालवा, अलीराजपुर, छतरपुर, दमोह, देवास, गुना, ग्वालियर, इंदौर, कटनी, खरगौन, मंडला, मंदसौर, मुरैना, पन्ना, रतलाम, रीवा, सागर, सतना, सीहोर, शहडोल, श्योपुर,उज्जैन, उमरिया, विदिशा जिले शामिल है।

बाजार मूल्य को लेकर जारी दिशा निदे्रशों के अनुसार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर नगर निगम की सीमा में अन्य शहरों के नगर निगम और नगर पालिका की सीमा में और नगर परिषद  तथा विशिष्ट ग्राम सीमा में या निवेश क्षेत्रों के लिए विकसित भूमि का निर्धारण पहले एक हजार वर्गमीटर, पांच सौ वर्गमीटर और तीन सौ वर्गमीटर के दायरे में क्रमश: विकसित भूमि के लिए निर्धारित दरों पर किया जाना था। लेकिन 436 मामलों में एसडीओ ने जमीन का निर्धारण विकसित भूमि के रूप में न कर संपूर्ण भूमि का निर्धारण केवल कृषि भूमि के लिए लागू दरों के आधार पर किया जिसके चलते 2 करोड़ 58 लाख रुपए का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है।

 ऐसे गांव और क्षेत्र जहां सड़क से बीस मीटर की सीमा के अंदर की सड़कों पर जमीन स्थित है। वहां के लिए अलग से दरे निर्धारित नहीं है। इन जमीनो  का मूल्यांकन राष्टÑीय राजमार्ग और इसके उपमार्ग, राज्य राजमार्ग इसके उपमार्ग तथा जिला मार्ग के लिए बाजार मूल्य से सौ प्रतिशत, पचास प्रतिशत और बीस प्रतिशत अधिक दरों पर करना था इसका पालन नहीं हुआ।

 आगर मालवा, अलीराजपुर, छिंदवाड़ा, मंदसौर, सागर और उज्जैन  जिलों के छह कलेक्टर कार्यालयों के चौबीस प्रकरण  ऐसे मिले है जहां उच्च दरें लागू नहीं थी लेकिन जमीन मुख्य सड़क के पास स्थित थी लेकिन सही निर्धारण नहीं हो पाने से 6 लाख 8 हजार शुल्क कम मिल पाया।

गुना, सागर, सतना और विदिशा कलेक्टरों ने दिसंबर 14 से मार्च 19 के बीच 7 हजार 768 प्रकरणों में डायवर्जन आदेश जारी किए ।  आॅडिट जांच में पता चला कि एक हजार 255 मामलों में से 113 में भूमि के व्यपवर्तित उपयोग के आदेश भाटक 22 लाख 54 हजार प्रीमियम 35 लाख 91 हजार और पंचायत उपकर 1 लाख 86 हजार और दांडिक राशि 130 लाख 83 हजार वसूल किए बिना जारी किए गए। इन प्रकरणों में कलेक्टरों ने बाद में वसूली के लिए कार्यवाही भी नहीं की। इन कलेक्टर कार्यालयों में अभी भी एक करोड़ 91 लाख रुपए की वसूली नहीं हो पाई है।

 

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