बालाघाट के चिन्नौर चावल को मिला जीआइ-टैग,खास उपलब्धि की हासिल

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 बालाघाट
 दुनियाभर के बाजार में चिन्नौर की सुगंध से बालाघाट ही नहीं बल्कि पूरा मध्य प्रदेश महकेगा। 2019 में कृषि विभाग बालाघाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, हैदराबाद में जीआइ-टैग (जियोग्राफिकल इन्डीकेशन टैग) के लिए दावा किया था। महाराष्ट्र ने भी जीआइ-टैग के लिए अपना दावा प्रस्तुत किया था। हालांकि परिषद ने मध्य प्रदेश के चिन्नौर को ही जीआइ-टैग की अनुमति दी। राज्य सरकार ने बुधवार को इसकी घोषणा की। अब यह किस्म दुनियाभर में बालाघाट के साथ मध्य प्रदेश को भी खास पहचान देगी। राज्य सरकार की ब्रांडिंग के बाद दुनियाभर के बाजार में चिन्नौर की सुगंध और स्वाद का जायका भी बढ़ेगा। इसका रकबा बढ़ाने के साथ ही अब किसान उत्पादन बढ़ाने आगे आएंगे। यह ऊंची किस्म ऊंचे दामों पर बिकेगी।

प्रदेश के धान उत्पादक बालाघाट जिले की यह खास किस्म है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाने के लिए सरकार ने एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया था। कृषि विज्ञानी डॉ. उत्तम बिसेन की मानें तो धान को सुगंध के लिए वैज्ञानिक तौर तीन श्रेणी में बांटा गया है-निम्न, मध्यम और तीव्र सुगंध। चिन्नौर तीव्र सुगंध वाली किस्म में शामिल है। दीगर धानों में राइस ब्रान की मात्रा 17-18 प्रतिशत होती है, जबकि चिन्नौर में 20-21 प्रतिशत होती है।

चावल की खासियत

चिन्नौर के चावल की खासियत इसकी महक और स्वाद है। उन्नत किस्म की इस धान के चावल के भीगने के बाद की खुशबू और पकने के बाद की मिठास का जिसने भी स्वाद लिया है, वह भूल नहीं सका। चिन्नौर का स्वाद ही नहीं महक भी गजब की है।

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