पितरों की मृत्यु तिथि न हो ज्ञात तो अमावस्या के दिन करें श्राद्ध

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ग्वालियर
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पितृ पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही विशेष दिन माना गया है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन मृत्यु लोक से आए हुए पितृजन वापस लौट जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 5 अक्टूबर शाम 07:04 बजे से होगा और 6 अक्टूबर 04:34 बजे तक रहेगा। पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्‍या पर गजछाया योग बनेगा। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। 6 अक्‍टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम 04:34 बजे तक हस्त नक्षत्र में होंगे। यह स्थिति गजछाया योग बनाती है।

धर्म-शास्‍त्रों के मुताबिक इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्‍न होते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। कहते हैं कि गजछाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की अगले 12 सालों के लिए क्षुधा शांत हो जाती है। सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस दिन सभी पितरों का ध्यान कर, पितरों की विदाई होती है, इसलिए उनसे किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए विदा करना चाहिए।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए, साथ ही उसका पूरा फल पितरों को समर्पित करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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