Kuno National Park: चीतों का एक सप्ताह पूरा, अब शिकार तलाश रहीं नजरें

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श्योपुर
नामीबिया से लाए गए चीतों को भारत की धरती पर सात दिन पूरे हो गए। इस दौरान उनकी दिनचर्या में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। पहले दिन डरे-सहमे नजर आ रहे चीते अब माहौल में ढलते दिखने लगे हैं। उनके व्यवहार पर हर पल नजर रखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के मन की बात कार्यक्रम में भी इन चीतों का जिक्र किया है।

बता दें कि 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को छोड़ा गया था। इनमें तीन नर और पांच मादाएं हैं। 24 सितंबर को चीतों को भारत की धरती पर सात दिन पूरे हो चुके हैं। करीब 70 साल पहले भारत में विलुप्त हुए चीतों को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष प्रयास किए थे। आठों चीते नेशनल पार्क में करीब तीन सप्ताह और क्वारंटीन में रहेंगे। इस दौरान साउथ अफ्रीका से आए 13 एक्सपर्ट उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीतों की नजर बाड़े के बाहर घूम रहे चीतल पर है। वे शिकार के लिए बेताब नजर आ रहे हैं। चीता कंजर्वेशन फंड की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर लॉरी मार्कर ने दावा भी किया है कि भारत का प्रोजेक्ट चीता एक बड़ी सक्सेस स्टोरी बनने जा रहा है। लॉरी मार्कर ने बताया कि चीतों की घर वापसी बहुत बड़ी उपलब्धि है और इसके परिणाम सामने आने में वक्त लग सकता है। अधिकारियों का दावा है कि चीते यहां के माहौल में घुल-मिल रहे हैं। यह उत्साहवर्धक है। चीते लगातार जांच से गुजर रहे हैं, वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और धीरे-धीरे नए माहौल में खुद को एडजस्ट कर रहे हैं।

पार्क प्रबंधन से जुड़े लोग बता रहे हैं कि अभी चीतों को सर्टिफाइड भैंसे का मीट दिया जा रहा है। खाने की भी लगातार जांच की जा रही है। चीते भरपूर नींद लेकर बाड़े में चहलकदमी कर रहे हैं। पार्क प्रबंधन चीतों के सामान्य व्यवहार से संतुष्ट है। चीतों की मॉनीटरिंग नामीबिया से की जा रही है। बाड़े में पानी की लगातार सप्लाई की व्यवस्था की गई है। क्वारंटीन अवधि खत्म होने के बाद इन चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा, जहां उनका दायरा बढ़ेगा, करीब तीन महीने बाद खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। जंगल में इनके शिकार के लिए लगातार चीतलों को यहां लाकर छोड़ा जा रहा है।  

चीतों की सुरक्षा का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। चीतों के क्वारंटीन बाड़ों में सोलर करंट लगाया गया है, जो तेंदुओं समेत अन्य जानवरों के खतरों से चीतों को सुरक्षित रखेगा। कूनो के जंगल में तेंदुए भी हैं। जब चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा तो तेंदुओं से इनकी झड़प हो सकती है। चीतों के बाड़ों में ऊपर सोलर करंट दौड़ रहा है। यह चीतों या अन्य जानवरों के लिए प्राणघातक तो नहीं है, लेकिन उन्हें डराने के लिए काफी है। इससे उन्हें हल्का झटका लगेगा जो चीतों को बाड़ों से बाहर जाने या किसी अन्य जानवर को अंदर आने से रोकेगा। वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट्री सर्विसेस टेक्निकल टीम के सदस्य राजीव गोप ने बताया कि साढ़े 11 फीट ऊंची फेंसिंग में सोलर करंट दौड़ रहा है। इन बाड़ों को चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया गया है।

वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाए गए दो हाथियों के जरिए भी चीतों की सुरक्षा की जा रही है। यह अन्य जंगली जानवरों को चीतों के बाड़े से दूर करने का काम कर रहे हैं। शिकारियों से खतरे की कोई आशंका नहीं है, क्योंकि हर चीता सैटेलाइट कॉलर से लैस है, जिससे 24 घंटे इनकी लोकेशन वन अमले को पता रहेगी। एक ही जगह पर यदि 2 घंटे या 4 घंटे रहे और कोई मूवमेंट नहीं किया, तो अलर्ट मैसेज आ जाएगा।

आज क्या कहा पीएम ने
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैं आप सबको कुछ काम सौंप रहा हूं, इसके लिए MYGOV के एक प्लेटफार्म पर, एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें साझा करने का आग्रह करता हूं। पीएम ने लोगों से पूछा कि चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए? उन्होंने कहा, ये नामकरण अगर पारंपरिक हो तो काफी अच्छा रहेगा। क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज हमें सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है। उन्होंने कहा, क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं कि इनमें से हर एक को किस नाम से बुलाया जाए? उन्होंने कहा, मेरी आप सभी से अपील है कि आप इस प्रतियोगिता में जरूर भाग लीजिए, क्या पता इनाम स्वरूप चीते देखने का पहला अवसर आपको ही मिल जाए।

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