भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी क्षेत्रों से होने वाली आमदनी को किसी और स्थान पर खर्च करने के बजाय आदिवासी गांव में ही खर्च करने का निर्णय लिया है। सीएम चौहान ने पेसा एक्ट के आधार पर जनजातीय समाज को रोजगार और सुविधा देने के लिए यह फैसला किया है। उन्होंने झाबुआ में इसके संकेत देते हुए कहा कि वर्ष 1996 में बना यह एक्ट तत्कालीन सरकार ने लागू नहीं किया, लेकिन हमारी सरकार इसे लागू करेगी। उन्होंने कहा कि यह एक्ट किसी भी समाज के खिलाफ नहीं हैं, इसे सामाजिक न्याय और समरसता के साथ लागू किया जाएगा।
सीएम चौहान ने इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया कि गांव की जनता ही गांव का विकास तय करेगी। गांव का पैसा गांव में ही खर्च होगा। उन्होंने आदिवासी समाज की परम्पराओं के लिए नीतियों में बदलाव करने में भी किसी तरह की देरी नहीं करने की बात कही। झाबुआ में उन्होंने कहा कि वनवासी समाज में जन्म-मृत्यु और पूजा के अनेक अवसरों पर मदिरा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में इस समाज की संस्कृति और परंपरा के निर्वाह के लिए महुआ से मदिरा बनाने की छूट भी दी जाएगी। इसके लिये आबकारी नीति में संशोधन किया जाएगा। गौरतलब है कि सीएम चौहान का यह बयान तब आया है जब प्रदेश में शराब बंदी को लेकर पार्टी की सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अगले साल से अभियान शुरू करने की बात कही है।
सीएम चौहान ने आदिवासियों के जीवन स्तर में बदलाव को लेकर सरकारी योजनाओं में परिवर्तन पर फोकस किया है। इसी के चलते दो दिन पहले उन्होंने सिंगरौली जिले के आदिवासी क्षेत्र चितरंगी में भी आदिवासियों की शिकायत पर रेत नीति में बदलाव की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि पीएम आवास की किस्त 25 हजार रुपए मिलती है और इतनी राशि रेत महंगी होने के कारण रेत खरीदी में खर्च हो जाती है। ऐसे में आदिवासी, गरीब परिवारों का घर नहीं बन पा रहा है। इसलिए वे रेत नीति ही बदल देंगे। पीएम आवास योजना में जिन्हें मकान बनाने के लिए राशि दी जा रही है, उन्हें मुफ्त में रेत दी जाएगी। इससे वे अपना मकान बना सकेंगे। इतना ही नहीं परिवार के विभाजन के आधार पर एक से अधिक मकान और भूखंड की सुविधा दिलाने का काम भी किया जाएगा।