गंगा तट पर हुआ नारी के भूत, भविष्य और वर्तमान पर चिंतन

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इंदौर

स्त्रियों के भूत, भविष्य और वर्तमान पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नारी संसद में प्रकाश डाला। इसमें बदलते वक्त के हिसाब से नारी के अधिकारों में भी बदलाव की बात कही गई। केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने समापन के दिन नारी-संसद में भाग लेने वाली महिलाओं के साथ गंगा पूजन एवं आरती संपन्न की।

ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में गंगा तट पर हुए नारी-संसद में स्त्रियों ने स्त्रियों की समस्याओं पर विचार किया। 8 व 9 अक्टूबर को हुए संसद में नारी के लिए घर का कार्य या बाहर की जिम्मेदारियां, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा आदि विषयों पर नारी संसद में चर्चा हुई। इस सम्मेलन में पुरुषों की भूमिका मात्र सहायक की थी। इंदौर से नारी संसद के सलाहकार डॉ प्रभु नारायण मिश्र के साथ प्रो. मधुलिका शुक्ला, पद्मविलोचन शुक्ला, कुमारी साधना कुमारी झा, डॉ अर्चिका शुक्ला,  चंचल मूंदड़ा झंवर, अरुणा मिश्रा, सरोज मिश्रा, प्रो. प्रीति सर्वा एवं माया पांडे आदि ने हिस्सा लिया। प्रो. मधुलिका शुक्ला चंचल मुंदड़ा झंवर एवं कुमारी साधना कुमारी झा के आलेख प्रकाशित किए गए और इनके वक्तव्य भी हुए। कई मायने में यह सम्मेलन अभिनव था। इस सम्मेलन में भाग लेने का कोई शुल्क नहीं था। किसी से सहयोग राशि नहीं मांगी मांगी गई और गंगा तट पर ही गंगा की कलकल ध्वनि के साथ सम्मेलन में चर्चाएं होती रहीं। सम्मेलन में दो-दो राज्यपालों नेअपने उद्बोधन दिए। यह कार्यक्रम परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के संरक्षकत्व और प्रख्यात चिंतक एवं समाजशास्त्री केएन गोविंदाचार्य के मार्गदर्शन में हुआ।

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