प्रदेश पंचायत चुनाव का मामला SC ने फिर जबलपुर हाईकोर्ट पहुँचाया

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भोपाल
 मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट  में बुधवार 15 दिसंबर 2021 को सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जाने को कहा है। अब इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट आगे की सुनवाई करेगा।हैरानी की बात तो ये है कि जबलपुर हाईकोर्ट  के पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और अब सुप्रीम कोर्ट से फिर जबलपुर पहुंच गया है।

दरअसल, 9 नवंबर 2021 को पंचायत चुनाव से जुड़ी सभी याचिकाओं पर जबलपुर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।इसमें आरक्षण और परिसीमन का मामला भी शामिल था। 40 मिनट लंबी चली बहस के बाद हाईकोर्ट ने के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने ग्वालियर बेंच में जस्टिस रोहित आर्या की अध्यक्षता वाली युगलपीठ द्वरा पूर्व में अन्तरिम राहत की अर्जी खारिज करने के बिंदु को ध्यान में रखते हुए मांग नामंजूर कर दी तो कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

एमपी कांग्रेस (MP Congress) नेताओं सैयद जाफर और जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की ।इसके तहत प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा 2019 के परिसीमन और आरक्षण को निरस्त करने के आदेश को चुनौती दी गई है।सोमवार-मंगलवार को सुनवाई टल गई और आज बुधवार को 15 दिसंबर सुबह सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में सीटों के परिसीमन और आरक्षण जैसे अलग-अलग मुद्दे उठा रहे सभी याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इन मामलों की जल्द सुनवाई करे। अब सैयद जाफर और दया ठाकुर की याचिका पर 16 दिसंबर 2021 को उच्च न्यायालय जबलपुर पर सुनवाई तय की गई है। इस याचिका की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने की।

2014 के आरक्षण को निरस्त करें सरकार

सैयद जाफर ने ट्वीट कर लिखा है कि शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नगर निगम और नगर पालिका पर रोटेशन के आधार पर आरक्षण देने पर सहमति जताई। हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग करते हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए ग्राम पंचायत चुनाव में भी रोटेशन का नियम लागू करते हुए ।2014 के आरक्षण को निरस्त करते हुए 2022 में होने वाले पंचायत चुनाव में रोटेशन का पालन करें।सैयद जाफर और दया ठाकुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कल उच्च न्यायालय जबलपुर पर सुनवाई तय की है।

ये है पूरा मामला

मप्र सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित किया है और इसकी अधिसूचना जारी गई है। वही इस पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नई अधिसूचना जारी कर दी।इसके अलावा राज्य सरकार ने नवंबर 2021 में आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। याचिका में कमल नाथ सरकार के समय हुए परिसीमन को निरस्त करने और 2014 की स्थिति में लागू परिसीमन व आरक्षण के आधार पर चुनाव कराने की मांग उठाई है।

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