भोपाल
आज से करीब 10 साल पहले एक अवैध कॉलोनी सेमरा में लाखों रूपए रिश्वत लेकर जारी की गई बिल्डिंग परमिशन का मामला बहुचर्चित था। इंजीनियर जेएस तोमर ने बिना विकास शुल्क लिये अवैध कॉलोनी में बिल्डिंग परमिशन जारी की गई थी। इस मामले को लेकर पूर्व एमआईसी मेंबरों ने तो तोमर और ट्रेसर सिद्दीकी अहमद सिद्दीकी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मामले के गर्माने के बाद फाइल गायब कर दी गई। यह बात इसलिए याद दिलाई जारी रही हैं, क्योंकि 6 महीने बाद इंजीनियर तोमर रिटायर्ड होने वाले हैं, लेकिन गायब हुई फाइल अब तक नहीं मिली है। ऐसे में एक्शन किस पर और कैसे होगा।
इसका जवाब निगम के आला अधिकारियों के पास नहीं है। इसे निगम प्रशासन की लापरवाही कहें या तोमर को बचाने के हथकंडे। एक्शन नहीं होने के कारण बाकी इंजीनियर भी बेखौफ होकर अवैध कॉलोनियों में बिल्डिंग परमिशन जारी करते हैं। यदि किसी एक पर भी सख्त कार्रवाई हुई होती तो बिल्डिंग परमिशान शाखा में इंजीनियर गड़बड़ी करने से डरते।
एमआईसी मेंबरों के लगातार विरोध करने के बाद मामले की जांच की गई। पूर्व इंजीनियर पीसी पवार ने जांच कर आरोपियों को क्लीन चिट दी थी। नगर नियोजक ने उस पर अपनी मुहर लगाई थी। निगम प्रशासन ने इंजीनियर तोमर और टेÑसर सिद्दीकी को निलंबित करते हुए माना था कि इन दोनों ने निगम को अर्थिक हानि पहुंचाई है। चूंकि फाइल मिली नहीं इसलिए यह पता ही नहीं चला कि इन दोनों ने मिलकर निगम को कितने लाख चूना लगाया।
इस मामले को लेकर पूर्व एमआईसी विष्णु राठौर, नारायण सिंह पाल, आशाराम शर्मा और पंकज चौकसे ने इंजीनियर तोमर और सिद्दीकी के खिलाफ मोर्चा खोला था। इनकी मांग थी कि इन दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। निगम इनके खिलाफ एक्शन नहीं ले रहा था। तब यह इस मामले को लेकर लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जा रहे थे। यह देखकर निगम ने दबाव में आकर इन दोनों को निलंबित किया था।
फाइल के गायब होने के कारण तोमर इस मामले से देखा जाए तो बच निकले हैं। फाइल के मिलने पर तोमर के खिलाफ एक्शन लिया जाता। निगम प्रशासन को तोमर के रिटायर्ड होने से पहले केस रिओपन करना चाहिए और एक्शन व वसूली दोनों की जानी चाहिए। ताकि दूसरे इस केस से सबक लें।