दिल्ली में बियर की भारी कमी, जुलाई तक जारी रहेगी किल्लत

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 नई दिल्ली
 
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अपनी सस्ती शराब के लिए भी जानी जाती है। हालांकि इस बार गर्मी में हालात कुछ और ही हैं। शहर में बियर की कमी हो गई है। दरअसल गर्मी की जल्द शुरुआत, चिलचिलाती धूप, बढ़ती मांग और "प्रतिबंधित" सप्लाई के कारण शहर में शराब की दुकानों पर अब बियर की भारी किल्लत हो गई है। इन तमाम वजहों से अधिकांश लोकप्रिय ब्रांडों की बीयर दुकानों से आउट ऑफ स्टॉक हो गई है। सबसे पसंदीदा मादक पेय में से एक, बीयर रेस्टो-बार से भी गायब हो गई है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि स्थिति जुलाई तक जारी रहने की संभावना है और बीयर पीने वालों को अन्य विकल्पों की तलाश करनी होगी।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब शहर में बियर की किल्लत देखने को मिल रही है। दिल्ली में हर साल बीयर की बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति देखी गई है। लेकिन शराब विक्रेता इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि पहली बार लेगर और स्ट्रांग बीयर के सभी प्रमुख ब्रांड और वेरिएंट (कैन, पिंट और बोतलें) इस बार दुकानों से गायब हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जहां नए ब्रांडों ने भी भारी बिक्री दर्ज की है, वहीं कुछ विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों से प्रीमियम वसूलने की खबरें आई हैं। अधिकांश ब्रांड अधिकतम खुदरा मूल्य पर बिक रहे हैं और विक्रेता बीयर पर छूट नहीं दे रहे हैं।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि इस साल बीयर की मांग में पिछले वर्षों की तुलना में कम से कम 30% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, "मार्च में गर्मी जल्दी शुरू होने के कारण इस बार मांग अचानक बढ़ गई है। जिन राज्यों में डिस्टिलरी स्थित हैं, वे निर्माताओं को दूसरे राज्यों में बीयर निर्यात करने से पहले घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कहते हैं। दिल्ली में कोई डिस्टिलरी नहीं है और इसकी आपूर्ति राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और जम्मू से होती है। प्रतिबंधित आपूर्ति के कारण, उपलब्धता कम है।"
 
एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में हर साल बीयर के 315-320 मिलियन केसेस बेचे जाते हैं और अप्रैल-जुलाई के चरम गर्मी के मौसम में 40% से अधिक की खपत होती है। इस गर्मी में बढ़ी हुई मांग के कारण, कुल खपत में भी वृद्धि होने की संभावना है। कुछ विक्रेताओं ने इस साल आपूर्ति की कमी के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को जिम्मेदार ठहराया है। एक विक्रेता ने कहा, "छूट नीति के चलते विक्रेताओं के पासे पैसों की कमी है और उन्होंने सीजन शुरू होने पर बीयर के स्टॉक पर ज्यादा निवेश नहीं किया है।"

 

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