बाल आत्महत्या में प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर

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जबलपुर
लोकसभा में यह बहुत चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि देश में वर्ष 2018 से 2020 के मध्य 30 हजार से अधिक बच्चों द्वारा आत्महत्या कर ली गई है। मध्य प्रदेश इस मामले में तीसरे स्थान पर आता है। यह जानकारी देते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ई-मेल कर बच्चों द्वारा की जा रही आत्महत्या के संदर्भ में एक उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी गठित कर कारणों की समीक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया है। ऐसा इसलिए ताकि बच्चे आत्महत्या जैसे कदम उठाने से बच सकें।

मध्य प्रदेश में 5000 से अधिक आत्महत्या

मनीष शर्मा प्रांतीय संयोजक नागरिक उपभोक्ता मंच ने बताया कि लोकसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में विगत वर्ष 5000 से अधिक बच्चों द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाया। आंकड़ों के लिहाज से मध्य प्रदेश पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। औसतन प्रदेश में प्रतिदिन 15 बच्चों द्वारा आत्मघाती कदम उठाया जा रहा है। वहीं सर्वाधिक मामले भोपाल में सामने आए हैं। उसके पश्चात इंदौर व जबलपुर का नंबर आता है। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो यह आंकड़ा 30,000 से अधिक है। वर्ष 2018 में 2431, वर्ष 2019 में 9613 व वर्ष 2020 में 11396 बच्चों द्वारा आत्महत्या की गई। औसतन कह सकते हैं कि प्रतिदिन लगभग 27 बच्चों द्वारा आत्मघाती कदम उठाया जा रहा है।

याचिका दायर करेंगे

उपभोक्ता मंच के सुधीर खरे, प्रफुल्ल सक्सेना ,आश्रिता पाठक, मधुबाला श्रीवास्तव, माला शिवहरे, गंगा केसरवानी, श्वेता जैन ,पवन कौरव, अरविंद स्थापक, सज्जाद अली, अभिषेक मेहरा, शिवकुमार ,इमरान खान सहित अन्य सदस्यों ने ई-मेल के माध्यम से तत्काल इस गंभीर समस्या पर उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने पर बल दिया है। बच्चों द्वारा की जा रही है आत्महत्या के समुचित कारणों का विश्लेषण कर उसके समाधान हेतु कदम उठाने की आवश्यक है। ऐसा न होने पर मंच जनहित में जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दायर करेगा।

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