रोजगार के नाम पर करोड़ों के घोटाले की आशंका !

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भोपाल
 ईओडब्ल्यू,लोकायुक्त के खिलाफ जनहित में दायर हुई याचिका पर उच्च न्ययालय ने सुनवाई करते हुए सेडमैप के कार्यवाहक संचालक के पद पर अनुराधा सिंघाई की नियुक्ति को अपात्र माना है। बता दे विभाग में करोडों के घोटालें की जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमे हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने मप्र की स्टार्टअप पॉलिसी का लोकार्पण किया गया था।
 
मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर की डबल बेंच पर जस्टिस वीरेंद्र सिंह व जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता ने Whistleblower वरिष्ठ पत्रकार अनम इब्राहिम के द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर फैसला सुनाया। यह जनहितैषी याचिका EOW, लोकायुक्त, मप्र सरकार, मुख्य सचिव, MSME विभाग, पंचायत राज, सेडमैपएवं आईएएस विवेक कुमार पोरवाल और अपात्र सेडमैप कार्यवाहक संचालक अनुराधा सिंघाई के खिलाफ में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर सेअधिवक्ता मनीष दत्त ने बहस की और अधिवक्ता मनीष कुमार तिवारी ने इस याचिका को उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष पेश किया। जनहित में दायर इस याचिका में आरोप था कि सेडमैप के माध्यम से लघु उद्योग व पंचायत राज के नाम पर करोड़ो का भ्रष्टाचार करने की नियत से CEDMAP के कार्यवाहक संचालक के पद पर अपात्र व्यक्ति की नियुक्ति की गई है।
 
रोज़गार के नाम पर केंद्र व राज्य की सैकड़ो योजनाओं का दुरुपयोग कर प्रदेश के तकरीबन 2 लाख बेरोजगार युवाओं को नौकरी के नाम पर ठगा गया है। जिसकी शिकायत विसलब्लोअर अनम इब्राहिम ने साक्ष्यों के साथ अधिकारियों व आर्थिक अपराध शाखा मप्र एवं लोकायुक्त में भी शिकायत की गई थी। परंतु उच्च स्तरीय अफसरों केचलते करोड़ो के चल रहे भ्रष्टाचार और अवैध नियुक्ति से पर्दा नही उठ पाया।जिस कारण यह जनहित याचिका उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर की गई थीं जिसकी सुनवाई हाई कोर्ट के युगल
पीठ पर हुई।

 

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