देश में कोयला संकट गहराया, संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट में 52 हजार मीट्रिक टन कोयला शेष

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खंडवा

संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट समेत प्रदेश के सभी थर्मल पावर ईकाइयों में कोयले का संकट गहरा गया है। सिंगाजी परियोजना में अब रोजाना 6-7 रैक कोयला जरूरी है, वरना बिजली उत्पादन ठप हो सकता है। यदि कोल कंपनी से कोयला नहीं आता है तो दो दिन बाद बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा। स्टॉक में मात्र 52 हजार मीट्रिक टन कोयला है, जबकि रोजाना की खपत 22 हजार मीट्रिक टन की है। इधर, लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने कोयले की कमी और बिजली आपूर्ति को मुद्दा बना रखा है।

हालांकि, परियोजना के अफसरों का कहना है कि, सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के कुछ इंजीनियर कोयले की सप्लाई बढ़ाने के लिए कोल इंडिया कंपनी से मिलने गए हैं। वैसे तो शुक्रवार शाम तक सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना में 52000 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक बचा हुआ है। मध्यप्रदेश में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की डिमांड है, इसे देखते हुए सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 1, 2 और 3 नंबर की यूनिट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। कोयले की सप्लाई थम जाएगी तो यहां बिजली उत्पादन पर ठप हो जाएगा। इससे बिजली संकट की स्थिति बन जाएगी। इसलिए सरकार व मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों पावर प्लांटों में कोयला पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

एक यूनिट में 700 से 750 ग्राम लग रहा है कोयला

सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना में बिजली उत्पादन में कोयला खपत ज्यादा हो रही है। वैसे तो 600 से 620 ग्राम कोयला एक यूनिट में लगना चाहिए, लेकिन मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के दौरान 700 से 750 ग्राम कोयले की खपत हो रही है। इससे कोयले की कमी पावर प्लांट में बनी है। ऐसा ही रहा तो सरकार को रोजाना कोयले के नाम पर करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

भारत कोयला संकट गहरा गया है। राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में हालात गंभीर होने लगे हैं। टाटा पावर की इकाई ने अपने ग्राहकों को बिजली का ध्यानपूर्वक उपयोग करने के लिए एसएमएस भेजा है। बता दें टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड मुख्य रूप से उत्तर पश्चिमी दिल्ली में काम करती है।

टाटा पावर (डीडीएल) ने शनिवार को अपने ग्राहकों को एसएमएस भेजे हैं। जिसमें कहा कि बिजली उत्पादन संयंत्रों में सीमित कोयले की उपलब्धता है। जिस कारण दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे के बीच बिजली आपूर्ति की स्थिति गंभीर स्तर पर है। कृपया विवेकपूर्ण तरीके से इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करें। एक जिम्मेदार नागरिक बनें। असुविधा के लिए खेद है।

बीएसईएस राजधानी, बीएसईएस यमुना और बिजली वितरकों के पास कथित तौर पर पर्याप्त मात्रा में ईंधन है। इसलिए अभी तक उनकी ओर से कोई संदेश नहीं भेजा गया है। इधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. जगन मोहन रेड्डी ने ऊर्जा संकट के कारण राज्य में खतरनाक स्थिति को देखते हुए। पीएम मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। कोयले की कमी और बिजली वितरण कंपनियों के खराब वित्त पर चिंता व्यक्त करते हुए। उन्होंने उपचारात्मक उपाय शुरू करने और दैनिक आधार पर बिजली उत्पादन परिदृश्य की निगरानी करने का आग्रह किया।

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