भोपाल
प्रदेश में अब कम पानी लेने वाली फसलों की बोनी और उसकी उपज लेने को बढ़ावा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि क्राप पैटर्न में बदलाव को लेकर प्लानिंग कराएं और मोटे अनाज वाली फसलें लेने के लिए चौपाल और अन्य बैठकों के जरिये किसानों को प्रेरित करें। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को मिलेट इयर घोषित करने के मामले में भी चर्चा की गई है।
मुख्यमंत्री चौहान ने ये निर्देश कल हुई कलेक्टर, कमिश्नर कांफ्रेंस में दिए हैं। उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मनाने का निश्चय किया है। मध्यप्रदेश में मिलेट मिशन की गतिविधियां जल्द शुरू होंगी। इसके प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रदेश में कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, रागी, समा इत्यादि फसलों को शामिल किया जा रहा है। मोटे अनाज वाली इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ सरकार इससे मिलने वाले आर्थिक फायदे भी गिना रही है। इसके पीछे वजह यह है कि धान, गेहूं और अन्य फसलें ज्यादा पानी लेती हैं जबकि मिलेट मोटे अनाज वाली फसलें कम पानी में अच्छा उत्पादन देती हैं। सरकार ऐसी फसलों के लिए केंद्र सरकार की मदद मार्केटिंग सुविधा उपलब्ध कराने पर भी जोर देगी।
गौरतलब है कि दुनिया भर में 70 से अधिक देशों द्वारा दी गई सहमति के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन द्वारा चिह्नित कठिन परिस्थितियों में बाजरा के स्वास्थ्य लाभ और खेती के लिए उनकी उपयुक्तता के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
उधर राज्य सरकार हरियाणा में पिछले साल लागू की गई मेरा पानी मेरी विरासत योजना का अध्ययन भी करा रही है जिसमें सात एकड़ तक के किसानों को कम पानी वाली फसलें उगाने पर सरकार की ओर से इंसेंटिंव दिया जा रहा है। राज्य सरकार भी इसी तरह का इंसेंटिव देने और मोटे अनाज वाली फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।